1. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत में कितने प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती है ?
व्याख्या: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टियों को उनकी प्रकृति और गुणों के आधार पर 8 प्रमुख वर्गों में विभाजित किया है। ये हैं: जलोढ़, काली, लाल और पीली, लैटेराइट, शुष्क, लवणीय, पीटमय और वन मिट्टी।
2. क्षेत्रीय विस्तार और कृषि में महत्त्व की दृष्टि से भारतीय मिट्टियों के कितने प्रमुख वर्ग हैं ?
व्याख्या: हालांकि भारत में 8 प्रकार की मिट्टियाँ हैं, लेकिन क्षेत्रफल और कृषि के महत्व के दृष्टिकोण से चार मिट्टियाँ प्रमुख हैं: जलोढ़ मिट्टी, लाल मिट्टी, काली मिट्टी और लैटेराइट मिट्टी। ये चारों मिलकर भारत के अधिकांश कृषि क्षेत्र को कवर करती हैं।
3. भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मिट्टी कौन - सी है ?
- A.लाल
- B.काली
- C.जलोढ़
- D.लैटेराइट
व्याख्या: जलोढ़ मिट्टी भारत की सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी है क्योंकि यह देश के सबसे बड़े क्षेत्र (लगभग 43%) पर फैली हुई है और बहुत उपजाऊ है। यह उत्तरी मैदानों और तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है और भारत की अधिकांश आबादी का भरण-पोषण करती है।
4. भारत के सर्वाधिक क्षेत्र पर किस प्रकार की मिट्टी का विस्तार पाया जाता है ?
- A.जलोढ़
- B.काली
- C.लाल
- D.लैटेराइट
व्याख्या: भारत के कुल भूभाग के सर्वाधिक हिस्से पर जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है। यह मिट्टी उत्तरी भारत के विशाल मैदानों, नदी घाटियों और तटीय क्षेत्रों में प्रमुख रूप से पाई जाती है।
5. क्षेत्रफल के आधार पर भारत की मिट्टियों का सही अवरोही क्रम है ?
- A.जलोढ़, काली, लाल, लैटेराइट
- B.जलोढ़, लाल, काली, लैटेराइट
- C.लाल,जलोढ़, काली, लैटेराइट
- D.काली, जलोढ़, लाल, लैटेराइट
व्याख्या: भारत में क्षेत्रफल के अनुसार मिट्टियों का सही घटता हुआ क्रम है: 1. जलोढ़ मिट्टी (सर्वाधिक), 2. लाल मिट्टी, 3. काली मिट्टी, और 4. लैटेराइट मिट्टी।
6. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती है | इसका प्रमुख कारण है -
- A.जलवायु एवं संरचना की विविधता
- B.संरचना एवं उच्चावच की विविधता
- C.जलवायु एवं उच्चावच की विविधता
- D.जलवायु, संरचना एवं उच्चावच की विविधिता
व्याख्या: मिट्टी का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जो उस स्थान की जलवायु (वर्षा, तापमान), भूवैज्ञानिक संरचना (चट्टानें), और उच्चावच (पहाड़, मैदान) पर निर्भर करती है। भारत में इन सभी कारकों में भारी विविधता है, इसीलिए यहाँ विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं।
7. तटीय मैदानों और उत्तर भारत के मैदानों में उत्कृष्ट मृदा है -
- A.जलोढ़
- B.रूक्ष (शुष्क)
- C.काली
- D.लाल
व्याख्या: उत्तर भारत के मैदान और तटीय मैदान नदियों द्वारा लाए गए अवसादों (सिल्ट) के जमाव से बने हैं। इस अवसादी मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है, जो इन क्षेत्रों की सबसे प्रमुख और उपजाऊ मिट्टी है।
8. नवीन जलोढ़ मिट्टी को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
- A.खादर
- B.बांगर
- C.कल्लर
- D.रेगुड़
व्याख्या: नदियों के बाढ़ वाले मैदानों में पाई जाने वाली नई और अधिक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी को 'खादर' कहा जाता है। हर साल बाढ़ के साथ इसकी एक नई परत जम जाती है।
9. पुरानी जलोढ़ मिट्टी को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
- A.खादर
- B.बांगर
- C.कल्लर
- D.रेगुड़
व्याख्या: नदी से दूर, ऊँचे क्षेत्रों में पाई जाने वाली पुरानी जलोढ़ मिट्टी को 'बांगर' कहा जाता है। यह खादर की तुलना में कम उपजाऊ होती है और इसमें कंकड़ पाए जाते हैं।
10. भारत के उत्तरी मैदान की मृदा सामान्यत: कैसे बनी है ?
- A.तलावचन से
- B.तलोच्चन से
- C.स्वस्थाने अपचयन द्वारा
- D.अपरदन द्वारा
व्याख्या: 'तलोच्चन' का अर्थ है नदियों द्वारा अवसाद का जमाव। भारत के उत्तरी मैदान हिमालय से निकलने वाली नदियों (गंगा, यमुना, सिंधु) द्वारा लाए गए जलोढ़ के जमाव से ही बने हैं।