121. राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी स्थित है -
- A. उदयपुर
- B. जयपुर
- C. बीकानेर
- D. जोधपुर
व्याख्या: राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का मुख्यालय बीकानेर में है।
122. ‘गोड़वाडी’ राजस्थानी की किस बोली की उपबोली है -
- A. मेवाड़ी
- B. मारवाड़ी
- C. वागड़ी
- D. मालवी
व्याख्या: गोडवाड़ी, मारवाड़ी की एक महत्वपूर्ण उपबोली है जो जालौर, पाली और सिरोही के गोडवाड़ क्षेत्र में बोली जाती है।
123. दादू और उनके शिष्यों की रचनाएँ अधिकतर किस बोली/भाषा में पाई जाती हैं -
- A. मेवाती
- B. ढुंढारी
- C. मेवाड़ी
- D. मारवाड़ी
व्याख्या: संत दादू दयाल का प्रमुख केंद्र जयपुर के निकट नरायणा था, जो ढूंढाड़ क्षेत्र में आता है। इसलिए उनकी रचनाएँ ढूंढाड़ी में हैं।
124. निम्नलिखित संतों में से किसने अपने लेखन में मेवाती बोली का प्रयोग नहीं किया -
- A. लालदास
- B. चरणदास
- C. सुन्दरदास
- D. सहजोबाई
व्याख्या: संत सुन्दरदास दादू के शिष्य थे और उनका साहित्य ढूंढाड़ी में है। लालदास, चरणदास और सहजोबाई का संबंध मेवात से था और उनकी रचनाएँ मेवाती में हैं।
125. पूर्वी राजस्थानी री उपबोली है -
- A. देवड़ावाटी
- B. चौरासी
- C. मेरवाडी
- D. गोडवाड़ी
व्याख्या: चौरासी, ढूंढाड़ी (पूर्वी राजस्थानी) की एक उपबोली है, जो जयपुर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में बोली जाती है।
126. राजस्थान की वह बोली कौनसी है, जिसे ग्रियर्सन ने ‘भीली बोली’ कहा एवं इसमें ‘च’ और ‘छ’ का उच्चारण ‘स’ किया जाता है एवं ‘था’ के स्थान पर ‘हतो’ का प्रयोग किया जाता है -
- A. ढूंढाड़ी
- B. वागड़ी
- C. हाड़ौती
- D. मेवाती
व्याख्या: ये सभी विशेषताएँ - 'भीली' नाम, 'च/छ' का 'स' उच्चारण, और 'था' के लिए 'हतो' का प्रयोग - वागड़ी बोली (डूंगरपुर-बांसवाड़ा) की पहचान हैं।
127. ‘रांगड़ी’ और ‘नीमाड़ी’ किस राजस्थानी बोली की उपबोलियाँ हैं -
- A. मालवी
- B. वागड़ी
- C. हाड़ौती
- D. शेखावटी
व्याख्या: रांगड़ी (मारवाड़ी + मालवी) और नीमाड़ी (दक्षिणी राजस्थानी) दोनों ही मालवी बोली की प्रमुख उप-बोलियाँ मानी जाती हैं।
128. वागड़ी बोली राजस्थान के ____ क्षेत्र में बोली जाती है।
- A. दक्षिण - पश्चिमी
- B. उत्तर - पश्चिमी
- C. उत्तर - पूर्वी
- D. दक्षिण - पूर्वी
व्याख्या: वागड़ी बोली राजस्थान के दक्षिणी और कुछ हद तक दक्षिण-पश्चिमी भाग, यानी डूंगरपुर, बांसवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
129. 'धतकी', 'थाली' और 'खराड़ी' उप-बोलियाँ राजस्थान की किस बोली से संबंधित हैं -
- A. मेवाड़ी
- B. मारवाड़ी
- C. ढूंढाड़ी
- D. मेवाती
व्याख्या: ये तीनों उप-बोलियाँ (ढटकी, थली, खेराड़ी) मारवाड़ी भाषा के अंतर्गत आती हैं और पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती हैं।
130. आं में सूं कुणसी बोली राजस्थान में नीं बोलीजै -
- A. मेवाती
- B. अवधी
- C. हाड़ोती
- D. वागड़ी
व्याख्या: अवधी पूर्वी हिंदी की बोली है जो मुख्यतः उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में बोली जाती है। यह राजस्थानी बोली नहीं है।