11. आमेर के किस शासक को अकबर ने ‘फर्जन्द’ की उपाधि दी थी -
- A. भारमल
- B. भगवानदास
- C. मानसिंह
- D. मिर्जा राजा जयसिंह
व्याख्या: अकबर, राजा मानसिंह को अपने पुत्र की तरह मानते थे और उनकी योग्यता से बहुत प्रभावित थे। इसी स्नेह के कारण उन्होंने मानसिंह को 'फर्जन्द' (बेटा) की उपाधि प्रदान की।
12. दुल्हेराय नामक व्यक्ति ने 1137 ई. में किन्हें हराकर ढूंढाड़ राज्य में कच्छवाह वंश की स्थापना की -
- A. प्रतिहारों को
- B. परमारों को
- C. गुहिलों को
- D. बड़गूजरों को
व्याख्या: दुल्हेराय (तेजकरण) ने 1137 ई. में दौसा पर शासन कर रहे बड़गूजरों को पराजित किया और ढूंढाड़ क्षेत्र में कछवाहा राजवंश की नींव रखी।
13. राजपूतों द्वारा मराठों के विरूद्ध हुरड़ा नामक स्थान पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन किस वर्ष किया गया था -
- A. 1717
- B. 1723
- C. 1734
- D. 1758
व्याख्या: मराठों के बढ़ते आक्रमणों से निपटने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने के उद्देश्य से राजपूताना के शासकों ने 17 जुलाई, 1734 को हुरड़ा (भीलवाड़ा) में एक सम्मेलन आयोजित किया।
14. वी. टी. कृष्णमाचारी किस राज्य के दीवान थे -
- A. मेवाड़
- B. जोधपुर
- C. जयपुर
- D. जैसलमेर
व्याख्या: सर वी. टी. कृष्णामाचारी एक प्रसिद्ध प्रशासक थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के समय जयपुर रियासत के दीवान (प्रधानमंत्री) के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
15. मिर्जा राजा जयसिंह व शिवाजी के मध्य ऐतिहासिक पुरन्दर की संधि हुई -
- A. 11 जनवरी 1565 ई. में
- B. 11 मई, 1665 ई. में
- C. 11 जून, 1665 ई. में
- D. 11 सितंबर, 1665 ई. में
व्याख्या: मिर्जा राजा जयसिंह के सैन्य दबाव के कारण, शिवाजी को मुगलों के साथ संधि करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह ऐतिहासिक पुरन्दर की संधि 11 जून, 1665 को हुई थी।
16. जयपुर के किस कछवाहा शासक ने 1818 में ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि की -
- A. सवाई प्रतापसिंह
- B. पृथ्वीराज
- C. महाराजा जगतसिंह II
- D. महाराजा विष्णुसिंह
व्याख्या: महाराजा जगतसिंह द्वितीय के शासनकाल में जयपुर राज्य आंतरिक कलह और मराठों के हमलों से कमजोर हो गया था। अपनी सत्ता को स्थिर करने और बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा के लिए उन्होंने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक सहायक संधि पर हस्ताक्षर किए।
17. कछवाहा वंश की उत्पत्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है -
- A. कछवाहा वंश को भगवान राम के पुत्र लव का वंशज माना जाता है।
- B. राजा नल ने 826 ई. के लगभग नश्वर/नरवर की नींव डाली, जो कछवाहा वंश के संस्थापक थे।
- C. कछवाहा वंश के वंशजों ने पहले अयोध्या, फिर मुकुटपुर और बाद में साकेत व रोहिताश पर शासन किया।
- D. ढोला-मारू की कथा राजा नल और उनकी पत्नी मरवण से संबंधित है।
व्याख्या: यह कथन कछवाहा वंश के प्रारंभिक प्रवास और शासन के ऐतिहासिक क्रम को सही ढंग से दर्शाता है। वे स्वयं को भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं और उनका प्रारंभिक शासन क्षेत्र अयोध्या के आसपास था, जिसके बाद वे अन्य स्थानों पर गए।
18. “बारा कोटड़ी” के नाम से कौनसा राज्य प्रसिद्ध था -
- A. आमेर
- B. भीनमाल
- C. सिरोही
- D. कोटा
व्याख्या: आमेर के शासक पृथ्वीराज कछवाहा ने अपने 12 पुत्रों में राज्य का विभाजन कर दिया था। इस सामंती व्यवस्था को "बारा कोटड़ी" (बारह ठिकाने) के नाम से जाना जाता है, और इसी कारण आमेर राज्य इस नाम से प्रसिद्ध हुआ।
19. जहांगीर ने मुग़ल बादशाह बनने के बाद में किस शासक के मनसब को कम कर दिया -
- A. जसवंतसिंह
- B. भगवंतसिंह
- C. मानसिंह
- D. जगतसिंह
व्याख्या: जहाँगीर और राजा मानसिंह के बीच संबंध अच्छे नहीं थे, जिसका एक कारण मानसिंह का जहाँगीर के विद्रोही बेटे खुसरो का समर्थन करना था। इसलिए, जब जहाँगीर बादशाह बना, तो उसने मानसिंह के मनसब (सैन्य पद) को 7000 से घटा दिया।
20. सर वी. टी. कृष्णामाचारी किस राज्य के दीवान थे -
- A. जैसलमेर
- B. मेवाड़
- C. जोधपुर
- D. जयपुर
व्याख्या: सर वैंगल तिरुवेंकटाचारी कृष्णामाचारी एक कुशल भारतीय प्रशासक थे, जिन्होंने 1946 से 1949 तक जयपुर रियासत के दीवान (प्रधानमंत्री) के रूप में कार्य किया। उन्होंने राज्य के प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।