11. द्वैताद्वैत सिद्धांत के प्रवर्तक हैं-
- A.A.शंकराचार्य
- B.B.रामानुजाचार्य
- C.C.माधवाचार्य
- D.D.निम्बकाचार्य
व्याख्या: द्वैताद्वैत (भेद और अभेद) सिद्धांत के प्रवर्तक निम्बकाचार्य थे। यह सिद्धांत मानता है कि आत्मा और परमात्मा में द्वैत (भिन्नता) और अद्वैत (एकता) दोनों का संबंध है।
12. रामानुजाचार्य किससे संम्बन्धित है?
- A.A.अद्वैतवाद
- B.B.द्वैत वाद
- C.C.विशिष्टाद्वैत
- D.D.एकेश्वरवाद
व्याख्या: रामानुजाचार्य 'विशिष्टाद्वैत' दर्शन के प्रवर्तक थे। इसके अनुसार, ब्रह्म एक ही है, लेकिन जीव और जगत उसी ब्रह्म के विशिष्ट अंग हैं।
13. निम्नलिखित मे से कौन-सा दर्शन भागवत धर्म का प्रमुख आधार है ?
- A.A.अद्वैतवाद
- B.B.वैशेषिक
- C.C.विशिष्टताद्वैत
- D.D.द्वैतवाद
व्याख्या: विशिष्टाद्वैत दर्शन, जिसे रामानुजाचार्य ने प्रतिपादित किया, भागवत धर्म का मुख्य दार्शनिक आधार है। यह भक्ति और ईश्वर की शरण में जाने पर जोर देता है।
14. भक्ति को दार्शनिक आधार प्रदान करने वाले प्रथम आचार्य कौन थे?
- A.A.रामानुज
- B.B.शंकराचार्य
- C.C.मध्वाचार्य
- D.D.बल्लभाचार्य
व्याख्या: रामानुजाचार्य पहले ऐसे आचार्य थे जिन्होंने भक्ति को एक मजबूत दार्शनिक आधार (विशिष्टाद्वैत) प्रदान किया और इसे ज्ञान और कर्म के बराबर महत्वपूर्ण बताया।
15. भारत का प्राचीनतम दर्शन है -
- A.A.न्याय
- B.B.वैशेषिक
- C.C.सांख्य
- D.D.योग
व्याख्या: सांख्य दर्शन को भारत का सबसे प्राचीनतम दर्शन माना जाता है। इसके सिद्धांत उपनिषदों और गीता में भी पाए जाते हैं।
16. अद्वैतवाद सिधांत के प्रतिपादक कौन हैं?
- A.A.रामानुज
- B.B.शंकराचार्य
- C.C.माधवाचार्य
- D.D.निम्बकाचार्य
व्याख्या: अद्वैतवाद सिद्धांत के प्रतिपादक आदि शंकराचार्य थे। यह सिद्धांत कहता है कि आत्मा और परमात्मा (ब्रह्म) एक ही हैं, और संसार एक भ्रम (माया) है।
17. योग दर्शन के प्रतिपादक कौन है ?
- A.A.कपिल
- B.B.गौतम
- C.C.पतंजलि
- D.D.जैमिनी
व्याख्या: योग दर्शन का प्रतिपादन महर्षि पतंजलि ने अपने ग्रंथ 'योगसूत्र' में किया था। यह दर्शन मन और शरीर को नियंत्रित करके मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग बताता है।
18. महर्षि कपिल का नाम दर्शन की किस विधि से जुड़ा हुआ है?
- A.A.पूर्व मीमांसा
- B.B.उत्तर मीमांसा
- C.C.न्याय दर्शन से
- D.D.सांख्य दर्शन
व्याख्या: महर्षि कपिल का नाम सांख्य दर्शन से जुड़ा है। वे इस दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं, जो सृष्टि की व्याख्या 'पुरुष' और 'प्रकृति' के आधार पर करता है।
19. द्वैतवाद सिद्धांत के प्रतिपादक हैं
- A.A.शंकराचार्य
- B.B.रामानुजाचार्य
- C.C.माधवाचार्य
- D.D.निम्बकाचार्य
व्याख्या: द्वैतवाद सिद्धांत के प्रतिपादक माधवाचार्य थे। यह सिद्धांत मानता है कि आत्मा (जीव) और परमात्मा (ब्रह्म) दो अलग और स्वतंत्र सत्ताएं हैं।
20. द्वैतवाद सिद्धांत के प्रतिपादक हैं
- A.A.शंकराचार्य
- B.B.रामानुजाचार्य
- C.C.माधवाचार्य
- D.D.निम्बकाचार्य
व्याख्या: द्वैतवाद सिद्धांत के प्रतिपादक माधवाचार्य थे। यह सिद्धांत मानता है कि आत्मा (जीव) और परमात्मा (ब्रह्म) दो अलग और स्वतंत्र सत्ताएं हैं।