171. विद्युत विभव का S.I. मात्रक है -
- C. ओम
- A. वोल्ट
- D. एम्पीयर
- B. जूल
व्याख्या: विद्युत विभव का SI मात्रक वोल्ट (V) है, जिसे जूल प्रति कूलॉम के रूप में भी परिभाषित किया गया है।
172. यदि संधारित्र की प्लेटों के बीच की वायु को अभ्रक, जिसका परावैद्युत नियतांक 4 है, से बदल दिया जाये तो, संधारित्र की धारिता -
- B. 2 गुना हो जायेगी
- D. 1/4 हो जायेगी
- C. अपरिवर्तित रहेगी
- A. 4 गुना हो जायेगी
व्याख्या: संधारित्र की धारिता (C) परावैद्युत नियतांक (K) के समानुपाती होती है। जब वायु (K≈1) को अभ्रक (K=4) से बदला जाता है, तो नई धारिता 4 गुना बढ़ जाएगी।
173. किसी कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा का पता लगाया जाता है -
- C. फ्लेमिंग के वाम-हस्त के नियम द्वारा
- B. फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त के नियम द्वारा
- A. दक्षिणावर्त पेच के नियम द्वारा
- D. दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा
व्याख्या: फ्लेमिंग का दाहिने हाथ (दक्षिण-हस्त) का नियम एक जनरेटर में प्रेरित धारा की दिशा निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
174. एक कूलाम आवेश में कितने इलेक्ट्रान होते हैं -
- D. 6.02 x 10²³
- B. 1.6 x 10¹⁹
- C. 1.0 x 10¹⁵
- A. 6.25 x 10¹⁸
व्याख्या: इलेक्ट्रॉनों की संख्या = कुल आवेश / एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1 C / (1.6 x 10⁻¹⁹ C) ≈ 6.25 x 10¹⁸ इलेक्ट्रॉन।
175. बिजली की खपत का बिल किसके मापन पर आधारित होता है-1. वाटेज 2. वोल्टेज 3. ओम 4. एम्पीयर
- B. 1 एवं 2
- A. केवल 1
- D. 1 एवं 4
- C. 2 एवं 3
व्याख्या: बिजली की खपत (ऊर्जा) = शक्ति (वाटेज) × समय। इसलिए, बिल मूल रूप से उपकरण की वाटेज और वह कितने समय तक चला, इस पर आधारित होता है।
176. भारत में घरों में आपूर्ति की जाने वाली प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति है : (निम्न में से सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनें)
- D. 40 Hz
- C. 50 Hz
- A. 100 Hz
- B. 60 Hz
व्याख्या: भारत में घरेलू उपयोग के लिए मानक प्रत्यावर्ती धारा (AC) की आवृत्ति 50 हर्ट्ज (Hz) है, जिसका अर्थ है कि धारा प्रति सेकंड 50 बार अपनी दिशा बदलती है।
177. इलेक्ट्रिक आवेश के प्रवाह की दर का मात्रक है -
- D. ओम
- B. म्हो
- C. एम्पीयर
- A. वोल्ट
व्याख्या: विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं, और इसका मात्रक एम्पीयर (A) है।
178. एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र और दिष्ट धारा जनित्र में महत्वपूर्ण अन्तर है -
- A. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में एक विद्युत चुम्बक होता है जबकि दिष्ट धारा जनित्र में एक स्थायी चुम्बक होता है।
- B. दिष्ट धारा जनित्र उच्चतर वोल्टता उत्पन्न करता है।
- C. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र उच्चतर वोल्टता उत्पन्न करता है।
- D. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि दिष्ट धारा जनित्र में एक दिक्परिवर्तक होता है।
व्याख्या: AC और DC जनरेटर के बीच मुख्य संरचनात्मक अंतर आउटपुट प्राप्त करने की व्यवस्था है। AC जनरेटर में स्लिप रिंग (सर्पी वलय) होते हैं, जबकि DC जनरेटर में स्प्लिट-रिंग कम्यूटेटर (दिक्परिवर्तक) होता है जो धारा की दिशा को एकदिशीय बनाता है।
179. एक घरेलू परिपथ में सभी युक्तियों को जोड़ा जाता है -
- A. समांतर क्रम में
- D. यदि परिपथ में धारा का मान अधिक है तो उन्हें श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है और यदि कम है तो समांतर क्रम में जोड़ा जाता है।
- B. श्रेणी क्रम में
- C. यदि परिपथ में धारा का मान अधिक है तो उन्हें समांतर क्रम में जोड़ा जाता है और यदि कम है तो श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है
व्याख्या: घरेलू परिपथ में सभी उपकरणों को समांतर क्रम में जोड़ा जाता है ताकि सभी को समान वोल्टेज मिले और वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें।
180. सेकेण्डरी सैल वह होते हैं -
- A. जिनका पुनः भरतण नहीं हो सकता
- D. जिनका वि. वा. ब. 10 वोल्ट से ज्यादा होता है
- C. जो सिर्फ एक ही बार उपयोग में लाये जा सकते हैं
- B. जिनका पुनःभरण हो सकता है
व्याख्या: द्वितीयक (सेकेंडरी) सेल रिचार्जेबल होते हैं, अर्थात उन्हें डिस्चार्ज होने के बाद फिर से चार्ज करके उपयोग किया जा सकता है, जैसे मोबाइल फोन की बैटरी।