151. ‘अर्ली चौहान डायनेस्टिज’ लिखी है -
- A. गौरीशंकर ओझा
- B. गोपीनाथ शर्मा
- C. नारायण सिंह
- D. दशरथ शर्मा
व्याख्या: डॉ. दशरथ शर्मा ने चौहान वंश के इतिहास पर गहन शोध किया और 'अर्ली चौहान डाइनेस्टीज' नामक महत्वपूर्ण ग्रंथ की रचना की।
152. कच्छवाहा शासकों की किस राजधानी का वर्णन आमेर शिलालेख में है -
- A. दौसा
- B. जमवारामगढ़
- C. आमेर
- D. जयपुर
व्याख्या: आमेर शिलालेख में कच्छवाहा शासकों की राजधानी के रूप में जमवारामगढ़ का उल्लेख किया गया है।
153. निम्न में से कौनसा शिलालेख गुहिल शासक शिलादित्य के समय का है -
- A. नगरी का शिलालेख
- B. सांमोली शिलालेख
- C. मानमोरी का लेख
- D. मंडोर का शिलालेख
व्याख्या: सांमोली (उदयपुर) का शिलालेख 646 ई. का है और यह गुहिल शासक शिलादित्य के समय का है, जिससे उस काल की आर्थिक और सामाजिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
154. निम्नलिखित लेखकों में से कौन ‘ए हिस्ट्री आॅफ राजस्थान’ के लेखक हैं -
- A. रीमा हूजा
- B. सतीश चन्द्रा
- C. सुमित सरकार
- D. आर. सी मजूमदार
व्याख्या: रीमा हूजा एक समकालीन इतिहासकार हैं जिनकी पुस्तक 'ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान' राजस्थान के इतिहास पर एक व्यापक और प्रशंसित कृति है।
155. हल्दीघाटी के युद्ध की विस्तृत जानकारी अब्दुल कादिर बदायूंनी के किस ग्रन्थ से होती है -
- A. तजीकराज उल वाकियाल
- B. तबकात-ए-अकबरी
- C. मुन्तखाब-उत-तवारीख
- D. अकबरलामा व आईने-ए-अकबरी
व्याख्या: बदायूंनी ने मुगल सेना की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में भाग लिया था और उसने अपनी पुस्तक 'मुन्तखाब-उत-तवारीख' में इस युद्ध का आँखों देखा विस्तृत वर्णन किया है।
156. ‘मुण्डीयार री ख्यात’ का विषय है
- A. सिरोही के चौहान
- B. दूंदी के हाड़ा
- C. मेवाड़ के सिसोदिया
- D. मारवाड़ के राठौड़
व्याख्या: इस ख्यात में मुख्य रूप से मारवाड़ (जोधपुर) के राठौड़ वंश के राजाओं का इतिहास वर्णित है।
157. किस इतिहासकार को ‘कानून की माता’ व ‘कानूनी’ नाम से जाना जाता था -
- A. हरविलास शारदा
- B. पं. झाबरमल शर्मा
- C. मुंशी देवीप्रसाद
- D. पं. विश्वेश्वरनाथ रेड
व्याख्या: मुंशी देवीप्रसाद ने कानून पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और कानूनी मामलों में उनकी विशेषज्ञता के कारण उन्हें 'कानून की माता' या 'कानूनी' उपनाम से जाना जाता था।
158. निम्नलिखित में से कौनसी पुस्तक चौहानों के इतिहास के बारे में जानकारी का स्रोत नहीं है -
- A. हर्ष चरित
- B. सुर्जन चरित्र
- C. हम्मीर महाकाव्य
- D. पृथ्वीराज विजय
व्याख्या: 'हर्ष चरित' बाणभट्ट द्वारा लिखी गई है और यह सम्राट हर्षवर्धन के जीवन और काल से संबंधित है, इसका चौहानों से सीधा संबंध नहीं है। अन्य तीनों पुस्तकें चौहानों के इतिहास की जानकारी देती हैं।
159. विजयसिंह ने विजयशाही सिक्कों का प्रचलन किया -
- A. जोधपुर
- B. नागौर
- C. बीकानेर
- D. पाली
व्याख्या: विजयशाही सिक्के जोधपुर (मारवाड़) के शासक महाराजा विजय सिंह द्वारा प्रचलित किए गए थे।
160. ‘पृथ्वीराज विजय’ के लेखक थे-
- A. जयानक
- B. मुहणोत नैणसी
- C. सूर्यमल्ल मिश्रण
- D. चन्दरबरदाई
व्याख्या: पृथ्वीराज चौहान तृतीय के दरबारी कवि जयानक ने संस्कृत भाषा में 'पृथ्वीराज विजय' महाकाव्य की रचना की थी।