81. बीकानेर के इतिहास लेखन में कौन सी ‘ख्यात’ अति लाभदायक है -
- A. मुण्डीयार री ख्यात
- B. बांकीदास री ख्यात
- C. दयालदास री ख्यात
- D. नैणसी री ख्यात
व्याख्या: 'दयालदास री ख्यात', जिसे 'बीकानेर रा राठौड़ां री ख्यात' भी कहते हैं, बीकानेर राज्य के राठौड़ वंश के इतिहास का सबसे विस्तृत और प्रामाणिक स्रोत मानी जाती है।
82. किस शिलालेख में ‘विप्रः श्रीवस्तगोत्रेभूत्’ शब्द का उल्लेख हुआ है -
- A. बिजौलिया शिलालेख
- B. घोसुण्डी शिलालेख
- C. घटियाला शिलालेख
- D. मानमोरी शिलालेख
व्याख्या: बिजौलिया शिलालेख में चौहानों को 'वत्सगोत्रीय ब्राह्मण' (विप्रः श्रीवस्तगोत्रेभूत्) बताया गया है, जो उनकी उत्पत्ति के ब्राह्मण वंश के सिद्धांत का आधार है।
83. बिजौलिया शिलालेख के अनुसार चौहान राजवंश का संस्थापक कौन था -
- A. सोमेश्वर
- B. अर्णोराज
- C. वासुदेव
- D. पृथ्वीराज तृतीय
व्याख्या: बिजौलिया शिलालेख के अनुसार, वासुदेव चौहान को चौहान वंश का संस्थापक (आदिपुरुष) माना जाता है, जिसने सांभर झील का निर्माण भी करवाया था।
84. ‘बुद्धिविलास’ पुस्तक के लेखक कौन हैं -
- A. किसना अरहा
- B. बखत राम शाह
- C. बांकी दास
- D. नरोत्तम
व्याख्या: बखतराम शाह द्वारा रचित 'बुद्धिविलास' ग्रंथ से जयपुर शहर की स्थापना और उसकी नगर-निर्माण योजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
85. निम्न में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है -लेखक - ग्रंथ(A) सूर्यमल्ल मीसण - वंशोदय(B) पद्मनाम - कान्हड़देव प्रबन्ध (C) करणीदान - सूरज प्रकाश(D) मण्डन - राजवल्लभ
व्याख्या: सूर्यमल्ल मिश्रण ने 'वंश भास्कर' और 'वीर सतसई' जैसे ग्रंथों की रचना की थी, 'वंशोदय' की नहीं। अन्य सभी विकल्प सही सुमेलित हैं।
86. बरली शिलालेख, जो कि अशोक काल से पूर्व का माना जाता है, प्राप्त हुआ है -
- A. अलवर जिले में
- B. अजमेर जिले में
- C. भीलवाड़ा जिले में
- D. टोंक जिले में
व्याख्या: यह शिलालेख, जो राजस्थान का सबसे प्राचीन ज्ञात शिलालेख है, अजमेर जिले के बड़ली गाँव के पास भिलोत माता मंदिर से प्राप्त हुआ था।
87. ‘मुण्डीयार री ख्यात’ किस राजवंश से सम्बन्धित है -
- A. मेवाड़ के सिसोदिया
- B. सिरोही के चौहान
- C. मारवाड़ के राठौड़
- D. बूंदी के हाड़ा
व्याख्या: इस ख्यात में मारवाड़ (जोधपुर) के राठौड़ वंश का प्रारम्भ से लेकर महाराजा जसवंत सिंह तक का इतिहास लिखा गया है।
88. निम्नलिखित में से किसने चार खंडों वाला इतिहास ‘वंश भास्कर’ लिखा था -
- A. सूर्यमल्ल मिश्रण
- B. कविराज श्यामलदास
- C. गोबिंद गंगाधर पांडे
- D. दशोरा दुर्लभ राम
व्याख्या: वंश भास्कर एक विशाल महाकाव्य है जिसकी रचना बूंदी के राजकवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने की थी, जिसमें हाड़ा चौहानों का विस्तृत इतिहास है।
89. ढीगला, भीडरिया, नाथद्वारिया है-
- A. मेवाड़ में प्रचलित तांबे के सिक्के
- B. मेवाड़ की दरी पट्टियों के नाम
- C. मेवाड़ की ओढ़नियों के नाम
- D. मेवाड़ के राजस्व करों के नाम
व्याख्या: ढींगला, भीलड़ी, त्रिशूलिया और नाथद्वारिया मेवाड़ रियासत में प्रचलित विभिन्न प्रकार के तांबे के सिक्कों के नाम थे।
90. मण्डौर अभिलेख किस राजा की प्रशस्ति है -
- A. बाउक
- B. अपराजित
- C. शीलादित्य
- D. आदित्यवर्द्धन
व्याख्या: मंडौर (जोधपुर) से प्राप्त 837 ई. का यह अभिलेख प्रतिहार शासक बाउक की प्रशंसा में लिखा गया है और इसमें प्रतिहारों की वंशावली दी गई है।