1. ‘नृत्यरत्नकोष’ का रचयिता था -
- A. विग्रहराज-3
- B. महेन्द्रपाल-2
- C. अमोघवर्ष
- D. कुम्भा
व्याख्या: महाराणा कुंभा एक महान विद्वान और कला-प्रेमी शासक थे। उन्होंने 'संगीतराज', 'संगीत मीमांसा' और 'नृत्यरत्नकोष' जैसे कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जो भारतीय संगीत और नृत्य पर आधारित हैं।
2. ‘दलपतविलास’ का प्रकाशन राजस्थान के किस स्थान पर स्थित रिसर्च इन्टीट्यूट द्वारा किया जाता है -
- A. जोधपुर
- B. जयपुर
- C. बीकानेर
- D. जैसलमेर
व्याख्या: ‘दलपतविलास’ का प्रकाशन बीकानेर स्थित 'सार्दूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट' द्वारा किया जाता है। यह एक ऐतिहासिक ग्रंथ है।
3. ‘रणमल छंद’ किसकी रचना है -
- A. श्रीधर व्यास
- B. पृथ्वीराज राठौड़
- C. मंछाराम
- D. ईश्वरदास
व्याख्या: ‘रणमल छंद’ की रचना कवि श्रीधर व्यास ने की थी। यह एक वीर रस प्रधान काव्य है, जिसमें ईडर के राठौड़ राजा रणमल की वीरता का वर्णन है।
4. ‘बीसलदेव रासो’ किण भांत रो काव्य है -
- A. भक्ति काव्य
- B. प्रकृति काव्य
- C. वीर काव्य
- D. प्रेम काव्य
व्याख्या: ‘बीसलदेव रासो’ एक प्रसिद्ध राजस्थानी प्रेम काव्य है। इसमें शाकम्भरी के राजा बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) और उनकी रानी राजमती की प्रेम कथा का वर्णन है।
5. निम्नलिखित में से किस प्रकार के काव्य ग्रंथों में हमें एक राजा की महानता, उसकी विजयों, युद्धों, शौर्य का वर्णन मिलता है -
- A. मरस्य
- B. रासो
- C. विगत
- D. वेली
व्याख्या: 'रासो' काव्य परंपरा में राजाओं की वंशावली, उनकी वीरता, युद्धों, विजयों और शौर्य का विस्तृत वर्णन किया जाता है। पृथ्वीराज रासो इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
6. सूची-1 से सूची-2 को सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिये हुए कुटों से सही उत्तर का चयन कीजिए -सूची-1(लेखक) सूची-2(ग्रन्थ)1. करणीदान अ. अजितोदय2. दलपति विजय ब. कान्हड़दे प्रबन्ध3. पद्मनाभ स. खुमाणरासो4. जगजीवन भट्ट द. सूरजप्रकाशकूट - 1, 2, 3, 4
- A. द, स, ब, अ
- B. ब, अ, द, स
- C. अ, ब, स, द
- D. द, अ, ब, स
व्याख्या: सही सुमेलन इस प्रकार है: करणीदान ने 'सूरजप्रकाश' लिखा, दलपति विजय ने 'खुमाणरासो', पद्मनाभ ने 'कान्हड़दे प्रबन्ध' और जगजीवन भट्ट ने 'अजितोदय' की रचना की।
7. निम्नलिखित में से किसने ‘भारतीय प्राचीन लिपिमाला’ नामक ग्रंथ की रचना की -
- A. श्यामलदास
- B. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा
- C. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
- D. दयालदास
व्याख्या: ‘भारतीय प्राचीन लिपिमाला’ ग्रंथ के लेखक प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता गौरीशंकर हीराचंद ओझा हैं। यह ग्रंथ भारत की प्राचीन लिपियों पर एक प्रामाणिक कार्य है।
8. ‘जागती जोत’ पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है।
- A. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
- B. राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
- C. राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर
- D. राजस्थान ललित कला अकादमी, जयपुर
व्याख्या: ‘जागती जोत’ राजस्थानी भाषा की एक प्रतिष्ठित पत्रिका है, जिसका प्रकाशन राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा किया जाता है।
9. किसी व्यक्ति विशेष और राजवंश की उपलब्धियों और घटनाओं पर प्रकाश डालने वाली कृतियों को ____ कहा जाता है।
- A. विगत
- B. प्रकास
- C. वेली
- D. साखी
व्याख्या: राजस्थानी साहित्य में 'प्रकास' शैली की कृतियों में किसी व्यक्ति या राजवंश की उपलब्धियों और महत्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डाला जाता है, जैसे 'सूरज प्रकाश'।
10. रजिया रा सोरठा नामक ग्रन्थ के लेखक कौन है -
- A. गोपीनाथ
- B. किसनो
- C. कृपाराम
- D. सागरदान
व्याख्या: ‘रजिया रा सोरठा’ नामक प्रसिद्ध नीतिपरक ग्रंथ के लेखक कृपाराम खिड़िया हैं। उन्होंने अपने सेवक रजिया को संबोधित करते हुए इन सोरठों की रचना की थी।