121. राजस्थानी साहित्य के किस विधा में कहानी कही और सुनी जाती है -निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:
- A. विगत
- B. झमाल
- C. वात
- D. पार्ची
व्याख्या: राजस्थानी साहित्य में 'वात' (बात) एक लोककथा या कहानी कहने की विधा है, जो मौखिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
122. ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ का लेखक ....... है -
- A. दयाल दास
- B. चारण शिवदास
- C. मुहणोत नैणसी
- D. पद्मनाभ
व्याख्या: ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ ग्रंथ की रचना मुहणोत नैणसी ने की थी, जो जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के दीवान थे।
123. “राव जैतसी रो छन्द” के रचयिता है -
- A. बीढू सूजा
- B. कन्हैयालाल सेठिया
- C. प्रताप सिंह
- D. दुर्गादास
व्याख्या: “राव जैतसी रो छन्द” के रचयिता बीठू सूजा हैं। इस डिंगल ग्रंथ में बीकानेर के राव जैतसी और मुगल बादशाह बाबर के पुत्र कामरान के बीच हुए युद्ध का वर्णन है।
124. राजस्थानी भासा रो पैलो उपन्यास कुणसो मान्यो जावै -
- A. हूँ गोरी किण पीवरी
- B. धोरां रो धोरी
- C. कनक सुन्दर
- D. आभै पटकी
व्याख्या: शिवचंद्र भरतिया द्वारा रचित 'कनक सुंदरी' को राजस्थानी भाषा का पहला उपन्यास माना जाता है।
125. कुणसा रचनाकार कवि रै साथै-साथै आछा गद्यकार भी हा -
- A. कवि कल्लोल
- B. सिवदास गाडण
- C. दलपति विजय
- D. बादर ढाढी
व्याख्या: शिवदास गाडण एक अच्छे कवि होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट गद्यकार भी थे। उनकी रचना 'अचलदास खीची री वचनिका' गद्य-पद्य मिश्रित चंपू शैली का श्रेष्ठ उदाहरण है।
126. निम्नलिखित में से गलत युग्म की पहचान कीजिए -
- A. बीसलदेव रासो: नरपति नाल्ह
- B. सूरज प्रकश: मानसिंह
- C. वंश भास्कर: सूर्यमल मीसण
- D. पाबूजी रा छंद: बीठू मेहा
व्याख्या: 'सूरज प्रकाश' के लेखक करणीदान कविया हैं, न कि मानसिंह। अन्य सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
127. 'मरूवाणी' क्या है -
- A. राजस्थानी हिंदी शब्दकोष
- B. राजस्थानी भाषा की मासिक
- C. राजस्थान की सबसे प्राचीन ख्यात
- D. संस्कृत भाषा का ग्रन्थ
व्याख्या: 'मरूवाणी' जयपुर से प्रकाशित होने वाली राजस्थानी भाषा की एक मासिक पत्रिका है।
128. मुंशी देवी प्रसाद ने किसे ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा है -
- A. मुहणोत नैणसी
- B. दयाल दास
- C. निहाल चंद
- D. सूर्यमल्ल मिश्रण (मीसण)
व्याख्या: मुंशी देवी प्रसाद ने मुहणोत नैणसी की लेखन शैली और ऐतिहासिक दृष्टि की तुलना अबुल फजल से करते हुए उन्हें 'राजपूताने का अबुल फजल' कहा है।
129. सूत्रधार मण्डन द्वारा निम्नलिखित में से किसकी रचना नहीं की गयी -
- A. प्रसादमंडन
- B. व्यवहारदर्श
- C. वास्तुसार
- D. वास्तु मंजरी
व्याख्या: 'व्यवहारदर्श' की रचना मंडन ने नहीं की थी। 'प्रसादमंडन', 'वास्तुसार' और 'वास्तु मंजरी' महाराणा कुंभा के प्रसिद्ध शिल्पी मंडन द्वारा रचित ग्रंथ हैं।
130. ‘वीर सतसई’ रा रचनाकार है -
- A. नाथूसिंह महियारिया
- B. उदयराज ऊजळ
- C. केसरीसिंह बारहठ
- D. हिंगळाज दान कविया
व्याख्या: यहां दिए गए विकल्पों में ‘वीर सतसई’ के रचनाकार नाथूसिंह महियारिया हैं। हालांकि, सूर्यमल्ल मिश्रण की 'वीर सतसई' सबसे प्रसिद्ध है।