141. नाथद्वारा में श्रीनाथजी की प्रतिमा के पीछे सज्जा के लिए प्रयुक्त चित्रित परदा कहलाता है ।
- A. पिछवाई
- B. रागमाला
- C. बारहमासा
- D. नल-दमयंती कथा
व्याख्या: भगवान श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे पृष्ठभूमि के रूप में लगाए जाने वाले बड़े, चित्रित पर्दों को 'पिछवाई' कहा जाता है।
142. महिला चित्रकारों कमला एवं इलायची के नाम किस चित्रशैली से सम्बंधित हैं -
- A. जोधपुर
- B. किशनगढ़
- C. अलवर
- D. नाथद्वारा
व्याख्या: कमला और इलायची नाथद्वारा शैली की दो प्रमुख महिला चित्रकार थीं।
143. कपड़े पर चित्रित _______ नाथद्वारा चित्रकला शैली का सजीव उदाहरण है।
- A. सिंहासन
- B. पिछवाई
- C. घोड़ा
- D. फड़
व्याख्या: पिछवाई कपड़े पर की जाने वाली चित्रकारी है और यह नाथद्वारा चित्रकला शैली का सबसे प्रसिद्ध और सजीव उदाहरण है।
144. जयपुर चित्रकला शैली की विशेष प्रगति किस शासक के काल को माना जाता है -
- A. सवाई जयसिंह
- B. सवाई ईश्वरीसिंह
- C. सवाई रामसिंह
- D. सवाई प्रतापसिंह
व्याख्या: सवाई प्रतापसिंह के शासनकाल (1778-1803) को जयपुर चित्रकला शैली का स्वर्णकाल माना जाता है, क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में उच्च गुणवत्ता वाले चित्र बने।
145. प्रसिद्ध चित्रकार साहिबदीन चित्रकला की किस शैली से सम्बंधित है -
- A. जयपुर
- B. मारवाड़
- C. मेवाड़
- D. अलवर
व्याख्या: साहिबदीन मेवाड़ शैली के एक महान चित्रकार थे, जिन्होंने महाराणा जगत सिंह प्रथम के संरक्षण में 'रागमाला', 'रसिकप्रिया' और 'भागवत पुराण' जैसे ग्रंथों को चित्रित किया।
146. चांदनी रात की संगोष्ठी किस चित्रकला शैली का चित्र है -
- A. आमेर शैली
- B. किशनगढ़ शैली
- C. देवगढ़ शैली
- D. बूंदी शैली
व्याख्या: 'चांदनी रात की संगोष्ठी' किशनगढ़ शैली का एक प्रसिद्ध चित्र है, जिसे चित्रकार अमरचंद ने बनाया था।
147. कोटा के किस शासक के काल में शिकार का चित्रण कोटा शैली का प्रतीक बना -
- A. राव माधो सिंह
- B. राजा उम्मेद सिंह
- C. राजा राम सिंह
- D. महाराव भीम सिंह
व्याख्या: राजा उम्मेद सिंह के शासनकाल में शिकार के दृश्यों का चित्रण कोटा शैली की मुख्य पहचान और प्रतीक बन गया।
148. राजस्थान की वह चित्रकला शैली कौनसी थी, जिसमें चित्रों पर चित्रकार के हस्ताक्षर किए जाते थे -
- A. किशनगढ़ शैली
- B. बीकानेर शैली
- C. जैसलमेर शैली
- D. मारवाड़ शैली
व्याख्या: बीकानेर शैली के चित्रकार अपने चित्रों पर अपना नाम और तिथि अंकित करने के लिए जाने जाते थे, जो अन्य राजस्थानी शैलियों में दुर्लभ है।
149. अठारहवीं शताब्दी में जयपुर का प्रख्यात पोट्रेंट चित्रकार कौन था -
- A. साहिब राम
- B. रामजी दास
- C. रामगोपाल
- D. हीरानन्द
व्याख्या: साहिब राम 18वीं शताब्दी में जयपुर के एक प्रसिद्ध चित्रकार थे, जिन्हें आदमकद (पोर्ट्रेट) चित्र बनाने में महारत हासिल थी।
150. “चितेरों की ओवरी” किससे संबंधित है -
- A. आनंद कुमार स्वामी
- B. जगत सिंह।
- C. जगत सिंह॥
- D. अमर सिंह।
व्याख्या: मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह प्रथम ने उदयपुर के राजमहलों में 'चितेरों की ओवरी' नामक एक कला विद्यालय (तस्वीरां रो कारखानो) की स्थापना की थी।