161. राजस्थान में ऊनी कम्बल एवं नमदे बनाने का प्रमुख केन्द्र है -
- A. कोटा
- B. भरतपुर
- C. बीकानेर
- D. जयपुर
व्याख्या: बीकानेर ऊनी कंबलों के लिए प्रसिद्ध है, जबकि टोंक नमदों के लिए। दिए गए विकल्पों में से, बीकानेर सबसे उपयुक्त है क्योंकि यह ऊन उत्पादन और ऊनी वस्त्रों का एक बड़ा केंद्र है।
162. राजस्थान में तिलपट्टी के लिए यह स्थान जाना जाता है -
- A. अलवर
- B. जोधपुर
- C. बीकानेर
- D. ब्यावर
व्याख्या: ब्यावर (अब एक जिला) अपनी स्वादिष्ट तिलपट्टी के लिए प्रसिद्ध है, जो तिल और गुड़ से बनाई जाने वाली एक मिठाई है।
163. मोकड़ी किस कहते हैं -
- A. हाथीदांत की चूड़ियों को
- B. लाख की चूड़ियों को
- C. कांच की चूड़ियों को
- D. उपर्युक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: लाख से बनी चूड़ियों को राजस्थानी भाषा में मोकड़ी कहा जाता है।
164. कौन सा (हस्तशिल्प – स्थान) सही सुमेलित नहीं
- A. लकड़ी के खिलौने – बस्सी
- B. मसूरिया साड़ी – कैथून
- C. बंधेज (टाई एंड डाई) – जयपुर
- D. तारकशी का काम – उदयपुर
व्याख्या: यह सुमेलित नहीं है। तारकशी का काम नाथद्वारा (राजसमंद) का प्रसिद्ध है, न कि उदयपुर का। अन्य सभी विकल्प सही हैं।
165. ‘जैनब’ की साड़ियों का प्रसिद्ध केंद्र है -
- A. कैथून
- B. रोटेदा
- C. बूढ़ादीत
- D. दीगोद
व्याख्या: कोटा जिले का दीगोद कस्बा 'जैनब' की साड़ियों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है, जो एक विशेष प्रकार की सूती साड़ी होती है।
166. ____ अपने काले-लाल प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है जिसमें फूलों, पत्तियों, जानवरों और पक्षियों को मटिया (मिट्टी) रंग के आधार पर लाल और काले रंग में बनाया जाता है।
- A. सांगानेरी
- B. कैथून
- C. बगरू
- D. अकोलां
व्याख्या: बगरू प्रिंट की यह एक विशिष्ट पहचान है कि इसमें मुख्य रूप से लाल और काले रंगों का उपयोग मिट्टी जैसे (मटिया) रंग की पृष्ठभूमि पर किया जाता है।
167. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है -
- A. थेवा कला – प्रतापगढ़
- B. मीनाकारी – जयपुर
- C. अजरख प्रिंट – सांगानेर
- D. टेराकोटा शिल्प – मोलेला
व्याख्या: यह युग्म सुमेलित नहीं है। अजरक प्रिंट बाड़मेर की प्रसिद्ध है, जबकि सांगानेर अपनी सांगानेरी प्रिंट के लिए जाना जाता है।
168. ‘थेवा कला’ के लिए प्रसिद्ध परिवार कौन-सा है -
- A. सोनी परिवार
- B. खण्डेलवाल परिवार
- C. गहलोत परिवार
- D. शेखावत परिवार
व्याख्या: प्रतापगढ़ का राजसोनी परिवार थेवा कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है और इस कला को पीढ़ियों से संरक्षित करता आ रहा है।
169. ____जयपुर का परंपरागत शिल्प है ।
- A. थेवा कार्य
- B. ब्लू पॉटरी
- C. पेन्टिंग्स
- D. ऊनी खादी
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ब्लू पॉटरी जयपुर का एक प्रसिद्ध और परंपरागत शिल्प है।
170. निम्न में से कौन सी संस्था कठपुतली-कला के राजस्थान में संरक्षण-संवर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जानी जाती है -
- A. इंडियन आर्ट पैलेस, दिल्ली
- B. सार्दूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर
- C. भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर
- D. राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर
व्याख्या: देवीलाल सामर द्वारा स्थापित भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर, ने राजस्थान की कठपुतली कला सहित कई लोक कलाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।