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राजस्थान की हस्तकला

Rajasthan Arts and Culture - राजस्थान की हस्तकला
181. गोपाल सैनी का सम्बन्ध राजस्थान की किस हस्तकला से है -
  • A. टैराकोटा
  • B. काष्ठ कला
  • C. थेवा कला
  • D. ब्ल्यू पॉटरी
182. राजस्थान का ‘राज-सोनी’ परिवार आभूषण निर्माण की निम्नलिखित में किस कला से संबंधित है -
  • A. कुंदन कार्य
  • B. मीनाकारी
  • C. पटवा
  • D. थेवा
183. सीकर का कौन सा स्थान गोटा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है -
  • A. नेछवा
  • B. खंडेला
  • C. खूड़
  • D. पिपराली
184. राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मोहनलाल किस शिल्प कला से संबंधित हैं -
  • A. थेवा कला
  • B. उस्ता कला
  • C. बंधेज कला
  • D. मोलेला मृण्मूर्ति कला
185. प्राचीन राजस्थान की मूर्तिकला की प्रतीक ‘नाद की शिव प्रतिमा’ किस जिले से प्राप्त हुई है-
  • A. अजमेर
  • B. चित्तौड़
  • C. उदयपुर
  • D. कोटा
186. जालौर का कौनसा गांव टेराकोटा के लिए प्रसिद्ध है जहां ‘मामा जी के घोड़े’ बनाये जाते हैं -
  • A. हरजी गांव
  • B. लेटा गांव
  • C. नाहोर गांव
  • D. नासोली गांव
187. निम्नलिखित में से कौन-सी छपाई शैली बाड़मेर से संबंधित है और इसमें लाल व नीले रंग का प्रयोग दोनों तरफ छपाई के साथ किया जाता है?
  • A. सांगानेरी प्रिंट
  • B. अजरक प्रिंट
  • C. बगरू प्रिंट
  • D. जाजम प्रिंट
188. हाथी दांत की चूड़ियों और कलात्मक वस्तुओं के निर्माण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है -
  • A. जोधपुर में हाथी दांत की चूड़ियाँ बनाई जाती हैं और यह राजस्थानी महिलाओं में सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • B. जयपुर के आमेर महल में चंदन के किवाड़ों पर 17वीं शताब्दी की हाथी दांत की पच्चीकारी का काम देखा जा सकता है।
  • C. उदयपुर और पाली में हाथी दांत की चूड़ियाँ नहीं बनतीं, केवल खिलौने और मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
  • D. राजपूत समाज में विवाह के अवसर पर हाथी दांत का चूड़ा पहनने की प्रथा है।
189. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :सूची-I (लोक कला)सूची-II (सामग्री)a. कावड़ I. पेपरb. फड़ II. रंगc. पाने III. कपड़ाd. मांडना IV. लकड़ीनीचे दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनिए :
  • A. a-IV, b-III, c-I, d-II
  • B. a-II, b-I, c-IV, d-III
  • C. a-I, b-II, c-III, d-IV
  • D. a-III, b-IV, c-II, d-I
190. वह हस्तकला जिसमें धातु पर सोने के पतले तारों से जड़ाई की जाती है और जयपुर व अलवर इसके लिए प्रसिद्ध है -
  • A. थेवा कला
  • B. मीनाकारी
  • C. कोफ्ताकारी
  • D. गोफण
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