201. ‘इंडिगो कला’ के लिए प्रसिद्ध स्थान कौनसा है -
- A. बालोतरा
- B. सांगानेर
- C. मण्डोर
- D. बहरोड़
व्याख्या: बालोतरा, जो अब एक जिला है, अपनी इंडिगो (नील) आधारित रंगाई-छपाई के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें अजरक और मलीर प्रिंट शामिल हैं।
202. थेवा कला के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है -
- A. यह कला काँच पर सोने की मीनाकारी के लिए जानी जाती है।
- B. यह कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ जिले तक सीमित है।
- C. इसके कारीगरों को “पन्नीगर” कहा जाता है।
- D. इस कला को जयपुर के “राज सोनी परिवार” ने विकसित किया।
व्याख्या: थेवा कला को प्रतापगढ़ के "राज सोनी परिवार" ने विकसित किया है, न कि जयपुर के। यह कला प्रतापगढ़ तक ही सीमित है।
203. श्रीलाल जोशी का संबंध किससे है -
- A. फड़
- B. रम्मत
- C. ख्याल
- D. नौटंकी
व्याख्या: श्रीलाल जोशी राजस्थान की पारंपरिक लोक कला 'फड़ चित्रण' के एक प्रसिद्ध कलाकार थे।
204. राजस्थान में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना कहाँ की गई है -
- A. कोटा
- B. जयपुर
- C. उदयपुर
- D. जोधपुर
व्याख्या: भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Handloom Technology) राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है।
205. थेवा कला का केन्द्र है -
- A. नागौर
- B. बस्सी
- C. पुष्कर
- D. प्रतापगढ़
व्याख्या: थेवा कला, जिसमें काँच पर सोने का सूक्ष्म चित्रांकन किया जाता है, का प्रमुख केंद्र प्रतापगढ़ है।
206. पीतल के बर्तनों पर मुरादाबादी काम कहां किया जाता है -
- A. जोधपुर
- B. कोटा
- C. उदयपुर
- D. जयपुर
व्याख्या: पीतल के बर्तनों पर खुदाई करके उस पर कलात्मक नक्काशी का काम, जिसे मुरादाबादी काम कहते हैं, जयपुर में प्रसिद्ध है।
207. राजस्थान में कोफ्तगिरी के काम के लिए कौन-से शहर प्रसिद्ध हैं -
- A. बीकानेर एवं जोधपुर
- B. कोटा एवं बून्दी
- C. अलवर एवं जयपुर
- D. झालरापाटन एवं बाराँ
व्याख्या: कोफ्तगिरी, जो फौलाद की वस्तुओं पर सोने के तारों की जड़ाई की कला है, के लिए अलवर और जयपुर शहर प्रसिद्ध हैं।
208. टेराकोटा से मन्नत मूर्तियाँ या देवताओं की मूर्तियाँ बनाने की मोलेला कला में, मिट्टी को मजबूत करने और उसे कड़ा बनाने के लिए उसमें निम्न में से कौन सी सामग्री मिलाई जाती है -
- A. चावल की भूसी और ऊँट का गोबर
- B. चावल की भूसी और गधे का गोबर
- C. गेहूं की भूसी और ऊँट का गोबर
- D. मक्के की भूसी और ऊँट का गोबर
व्याख्या: मोलेला के कलाकार मिट्टी को अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए उसमें चावल की भूसी और गधे का गोबर मिलाते हैं।
209. ऊंट की खाल पर स्वर्णिम नक्काशी का कार्य किस नाम से किया जाता है -
- A. कारचोब
- B. फड़चित्रण
- C. उस्ताकला
- D. मथेरण कला
व्याख्या: बीकानेर की प्रसिद्ध उस्ता कला में ऊँट की खाल पर सोने या चाँदी से सुंदर नक्काशी और चित्रकारी की जाती है।
210. ऊंट की खाल पर सोन-चांदी से की जाने वाली कलात्मक नक्काशी कहलाती है -
- A. उस्त-कला
- B. बादला
- C. जड़ाव
- D. आलागीला
व्याख्या: उस्ता कला वह कला है जिसमें ऊँट की खाल पर सोने या चांदी का उपयोग करके कलात्मक नक्काशी की जाती है। यह बीकानेर में प्रसिद्ध है।