व्याख्या: राजस्थानी भाषा में लोककथा या कहानी सुनाने वाले व्यक्ति को 'बातपोस' कहा जाता है, यानी जिसके पास बातों का या कहानियों का खजाना हो।
22. “कुसुम्बा” निम्न में से किससे संबंधित है -
A. विवाह संस्कार
B. व्यंजन ( खाद्य सामग्री)
C. अफीम एवम् शराब
D. परम्परागत हथियार
व्याख्या: 'कुसुम्बा' या 'कसुमल' एक पारंपरिक पेय है जो अफीम को घोलकर बनाया जाता है। इसे मेहमाननवाजी या सामाजिक समारोहों में पीने की एक पुरानी प्रथा रही है। यह शब्द शराब के लिए भी प्रयुक्त होता है।
23. ‘पगतिया उतारणौ’ से तात्पर्य है -
A. धोखा देना
B. आश्वासन देते रहना
C. दुल्हन का स्वागत करना
D. जंवाई का स्वागत करना
व्याख्या: यह एक राजस्थानी मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'किसी के जूते घिसवा देना'। इसका भावार्थ है किसी को काम के लिए बार-बार चक्कर कटवाना और केवल झूठा आश्वासन देते रहना।
24. ‘पलाण’ क्या है -
A. एक लोक वाद्य यंत्र
B. घोड़े पर रखी जाने वाली काठी
C. ऊँट पर रखी जाने वाली काठी
D. गोरबन्द का समानार्थी शब्द
व्याख्या: ऊँट की पीठ पर सवारी करने या सामान लादने के लिए जो काठी रखी जाती है, उसे 'पलाण' कहते हैं। घोड़े की काठी को 'जीन' कहा जाता है।
25. जिण भांत फौज में नगारौ चाइजै उणी भांत बात में कांई जरुरी हुवै -
A. हलकारो
B. हुंकारौ
C. थैकारो
D. जैकारो
व्याख्या: यह एक कहावत है जिसका अर्थ है, 'जिस तरह फौज में नगाड़ा (जोश के लिए) चाहिए, उसी तरह बातचीत में हुंकार (सुनने की सहमति) जरूरी है'। 'हुंकारौ' श्रोता की प्रतिक्रिया होती है।
26. जिण भांत फौज में नगारौ चाइजै उणी भांत बात में कांई जरुरी हुवै -
A. हलकारो
B. हुंकारौ
C. थैकारो
D. जैकारो
व्याख्या: यह एक कहावत है जिसका अर्थ है, 'जिस तरह फौज में नगाड़ा (जोश के लिए) चाहिए, उसी तरह बातचीत में हुंकार (सुनने की सहमति) जरूरी है'। 'हुंकारौ' श्रोता की प्रतिक्रिया होती है।