51. बांसवाड़ा में स्थापित राजस्थान के राज्य जनजातीय विश्वविद्यालय का नाम बदलकर ............. के नाम पर रखा गया है -
- A. भोगीलाल पंड्या
- B. गोविंद गुरू
- C. मोतीलाल तेजावत
- D. माणिक्य लाल वर्मा
व्याख्या: बांसवाड़ा स्थित राज्य जनजातीय विश्वविद्यालय का नाम बदलकर महान समाज सुधारक और भगत आंदोलन के प्रणेता गोविंद गुरु के नाम पर 'गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय' कर दिया गया है।
52. बिजौलिया किसान आंदोलन राजस्थान में कब प्रारंभ हुआ -
- A. 1895
- B. 1890
- C. 1897
- D. 1892
व्याख्या: राजस्थान का सबसे लंबा चलने वाला और संगठित किसान आंदोलन, बिजोलिया आंदोलन, 1897 में गिरधरपुरा गांव से शुरू हुआ था।
53. नानक भील नामक किसान की मृत्यु निम्नलिखित किस कृषक आन्दोलन के दौरान हुई थी -
- A. बेगूं किसान आन्दोलन
- B. बून्दी किसान आन्दोलन
- C. बिजौलिया किसान आन्दोलन
- D. बीकानेर किसान आन्दोलन
व्याख्या: 2 अप्रैल, 1923 को बूंदी के डाबी नामक स्थान पर किसानों की सभा में पुलिस की गोलीबारी में नानकजी भील झंडा गीत गाते हुए शहीद हो गए थे।
54. निम्नलिखित में से कौन बिजौलिया किसान आन्दोलन से संबंधित द्वितीय जाॅच आयोग के सदस्य नहीं थे -
- A. रमाकान्त मालवीय
- B. ठाकुर राजसिंह
- C. मेहता तख्तसिंह
- D. बिन्दुलाल भट्ठाचार्य
व्याख्या: बिन्दुलाल भट्टाचार्य 1919 में गठित पहले जांच आयोग के अध्यक्ष थे। दूसरे आयोग में रमाकांत मालवीय, ठाकुर राजसिंह और मेहता तख्तसिंह शामिल थे।
55. निम्नलिखित में से कौन सी घटना या परिणाम दिए गए विवरण के अनुसार सीधे मीणा आंदोलन से संबंधित नहीं है -
- A. बंशीधर शर्मा द्वारा 1944 में जयपुर मीणा सुधार समिति के गठन का उद्देश्य मीणा समुदाय के बीच सुधार प्रयासों को आगे बढ़ाना था।
- B. नीम का थाना में 1944 में संत मगन सागर के मीणा सम्मेलन के परिणामस्वरूप “मीन पुराण” का प्रकाशन हुआ, जिसने मीणाओं के बीच सांस्कृतिक जागृति में योगदान दिया।
- C. 1933 में स्थापित मीणा क्षेत्रीय महासभा ने 1936 तक जरायम पेशा अधिनियम को समाप्त करने के लिए जयपुर रियासत के साथ सफलतापूर्वक बातचीत की।
- D. 1924 के आपराधिक जनजाति अधिनियम के खिलाफ प्रतिरोध ने मीणा जाति सुधार समिति के गठन को जन्म दिया, जिसने जनजाति के भीतर प्रचलित सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए काम किया।
व्याख्या: मीणा क्षेत्रीय महासभा ने जरायम पेशा अधिनियम को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया, लेकिन यह अधिनियम 1936 तक समाप्त नहीं हुआ था। इसे पूरी तरह से समाप्त होने में स्वतंत्रता के बाद तक का समय लगा।
56. अमर शहीद नानकजी भील का संबंध था -
- A. डूंगरपुर
- B. बांसवाड़ा
- C. बूंदी
- D. शाहपुरा
व्याख्या: नानकजी भील का संबंध बूंदी किसान आंदोलन (डाबी कांड) से था, जहां वे झंडा गीत गाते हुए शहीद हुए थे।
57. जागीरदार राव कृष्ण सिंह ने बिजोलिया में किसी किसान की बेटी की शादी होने पर एक नया कर यानी ₹ 5 का भुगतान की शुरुआत की। उस नए कर का क्या नाम था -
- A. पाथरी
- B. बिजोरी
- C. चंवरी
- D. बिजावारी
व्याख्या: 1903 में बिजोलिया के जागीरदार राव कृष्ण सिंह ने 'चंवरी कर' लगाया था, जो लड़की के विवाह पर किसानों से वसूला जाता था।
58. 1927 में कुँवर मदनसिंह के नेतृत्व में किसानों ने कहाँ आन्दोलन किया -
- A. अलवर
- B. भरतपुर
- C. करौली
- D. बीकानेर
व्याख्या: कुँवर मदन सिंह के नेतृत्व में 1927 में करौली रियासत में किसानों ने लगान वृद्धि और सूअरों की समस्या के खिलाफ आंदोलन किया था।
59. मेवाड़ भील आंदोलन (1881-83) और भगत आंदोलन के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है -
- A. 1881-83 का मेवाड़ भील आंदोलन उदयपुर राज्य और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह से प्रेरित था, जिसकी परिणति कर्नल वाल्टर के नेतृत्व में एक समझौते में हुई, जिसने भीलों को वन अधिकार और कर रियायतें दीं।
- B. गोविंद गुरु और सुरजी भगत के नेतृत्व में भगत आंदोलन का उद्देश्य भीलों का नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान था, जिसमें गोविंद गुरु ने स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर 1883 में सम्प सभा की स्थापना की।
- C. मेवाड़ भील आंदोलन के दौरान, 27 मार्च 1881 को मामा अमनसिंह और लोणारगन के नेतृत्व में सेना ने बारापाल में सैकड़ों भीलों की झोपड़ियाँ जला दीं, जिसके बाद विद्रोह को राज्य और ब्रिटिश सेना द्वारा सफलतापूर्वक दबा दिया गया।
- D. 17 नवंबर 1913 को भगत आंदोलन के दौरान मानगढ़ नरसंहार में 1,500 से अधिक भील मारे गए और इसे “राजस्थान के जलियांवाला बाग” के रूप में जाना जाता है।
व्याख्या: यह कथन गलत है क्योंकि 1881 का मेवाड़ भील विद्रोह सफलतापूर्वक दबाया नहीं गया था, बल्कि एक समझौते के साथ समाप्त हुआ था जिसमें भीलों की कई मांगें मान ली गई थीं।
60. ‘राजस्थान जाट-क्षत्रिय सभा’ की स्थापना हुई -
- A. 1931
- B. 1910
- C. 1947
- D. 1920
व्याख्या: शेखावाटी क्षेत्र में जाट किसानों को सामाजिक और राजनीतिक रूप से संगठित करने के लिए 1931 में 'राजस्थान जाट क्षत्रिय सभा' की स्थापना की गई।