31. सुमेलित कीजिए-(A) ठकुराईन द्वारा नया चूड़ा पहनने पर किसानों से वसूला जाने वाला कर(i) पावणा लाग(B) खेती पर किसानों से प्रति हल वसूल की जाने वाली लाग(ii) चूड़ालाग(C) जागीरदार द्वारा अपने महमानों पर होने वाले खर्च को गाँव के किसानों से वसूलना(iii) जाजम लाग(D) भूमि के विक्रय पर वसूली जाने वाली लाग(iv) हल लागकूट - A B C D
- A. i ii iii iv
- B. i ii iv iii
- C. ii i iv iii
- D. ii iv i iii
व्याख्या: सही मिलान है: (A) नया चूड़ा पहनने पर - चूड़ालाग, (B) प्रति हल पर - हल लाग, (C) मेहमानों के खर्च पर - पावणा लाग, (D) भूमि विक्रय पर - जाजम लाग।
32. भूमि के उर्वरा व पैदावार के आधार पर जब बीघे पर लगे कर से राजस्व वसूल होता था, तब मारवाड़ व बीकानेर में इसे क्या कहा जाता था -
- A. बीघोड़ी
- B. लंक बंटाई
- C. खेतबंटाई
- D. गल्ला बक्शी
व्याख्या: 'बीघोड़ी' एक भू-राजस्व प्रणाली थी जिसमें फसल के हिस्से के बजाय, भूमि की माप (बीघा) के आधार पर एक निश्चित नकद राशि कर के रूप में वसूली जाती थी।
33. ‘खास रूक्का’ एक प्रकार का बुलावा पत्र होता था, किस श्रेणी के सामंतों को दरबार में उपस्थित होने के लिए यह पत्र भेजा जाता था -
- A. प्रथम श्रेणी
- B. द्वितीय श्रेणी
- C. तृतीय श्रेणी
- D. सामान्य सामंतों
व्याख्या: 'खास रूक्का' शासक द्वारा भेजा जाने वाला एक विशेष और सम्मानजनक निमंत्रण पत्र था, जो केवल प्रथम श्रेणी के प्रमुख सामंतों को ही भेजा जाता था।
34. बख्शी के बारे में निम्न कथनों पर विचार करें।(i) दीवान के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पदाधिकारी बख्शी होता था, जो प्रधानतः सेना विभाग का अध्यक्ष होता था।(ii) जयपुर में बख्शी को बख्शी देश, बख्शी परगना और बख्शी जागीर सहायता करते थे।(iii) जोधपुर राज्य में इसे ‘मौज बख्शी’ भी कहते थे।(iv) मारवाड़ में महाराजा बख्तसिंह के काल में सर्वप्रथम ‘प्याद बख्शी’ नामक एक नवीन पद का सर्जन किया गया।सही विकल्प का चयन करें।
- A. i, ii व iv
- B. i,iii व iv
- C. iii व iv
- D. i,ii, iii व iv
व्याख्या: कथन (iii) असत्य है। जोधपुर राज्य में सेना विभाग के प्रमुख को केवल 'बख्शी' ही कहा जाता था, 'मौज बख्शी' जैसा कोई विशिष्ट पदनाम नहीं था।
35. मारवाड़ में अजीतसिंह द्वारा कौनसा एक नया कर लिया जाने लगा था -
- A. तागीरात
- B. तलवार बंधाई
- C. भरतु रेख
- D. पट्टा रेख
व्याख्या: 'तागीरात' एक प्रकार का दंडात्मक कर था जो महाराजा अजीत सिंह के समय उन जागीरदारों से वसूला जाता था जो राज्य के आदेशों की अवहेलना करते थे।
36. बीकानेर राज्य में सीमा शुल्क, आयात-निर्यात तथा चुंगी कर को सामूहिक रूप से किस नाम से जाना जाता था -
- A. राहदारी
- B. जकात
- C. नियोत
- D. बारूता
व्याख्या: बीकानेर रियासत में व्यापारिक वस्तुओं पर लगने वाले विभिन्न करों, जैसे सीमा शुल्क, आयात-निर्यात कर और चुंगी, को सम्मिलित रूप से 'जकात' कहा जाता था।
37. सेवा या नौकरी के बदले दी जाने वाली भूमि या जागीर क्या कहलाती है -
- A. पळेटौ
- B. पसायत
- C. पलेवौ
- D. पसावण
व्याख्या: 'पसायत' उस भूमि या जागीर को कहते थे जो किसी व्यक्ति को उसकी सैन्य या अन्य सेवाओं के बदले में वेतन के रूप में दी जाती थी।
38. राजस्थान की प्राचीन रियासत के संदर्भ में कांसा परोसा क्या था -
- A. भूमि का एक प्रकार
- B. सिंचाई की एक किस्म
- C. इनमें से कोई नहीं
- D. एक प्रकार की लाग (कर)
व्याख्या: 'कांसा परोसा' एक प्रकार का सामाजिक कर (लाग) था जो विवाह जैसे अवसरों पर जागीरदार द्वारा अपनी प्रजा से वसूला जाता था।
39. राजस्थान के राजवंशों के राजस्व प्रणाली के अंतर्गत किस प्रकार की भूमि को राजा की निजी सम्पत्ति माना जाता था -
- A. भौम
- B. जागीर
- C. हवाला
- D. खालसा
व्याख्या: 'खालसा' भूमि सीधे शासक के नियंत्रण में होती थी। इससे प्राप्त होने वाला समस्त राजस्व सीधे राजकीय खजाने में जमा होता था।
40. मटक, बिछायत, चू-सराई क्या थे -
- A. राजस्थन में स्थानीय करों के नाम
- B. राजस्थान में देशी कपड़ों के स्थानीय नाम
- C. कृषि यंत्रों के नाम
- D. सिंचाई के साधनो के स्थानीय नाम
व्याख्या: ये सभी मध्यकालीन राजस्थान में प्रचलित विभिन्न प्रकार की लागों (स्थानीय करों) के नाम हैं, जो अलग-अलग वस्तुओं, सेवाओं या अवसरों पर लगाए जाते थे।