111. कालबेलियों के प्रमुख वाद्य का नाम बताइए।
- A. पुंगी
- B. अलगोजा
- C. रावणहत्था
- D. सारंगी
व्याख्या: पुंगी और डफली कालबेलिया समुदाय के प्रमुख वाद्य यंत्र हैं, जिनका प्रयोग उनके नृत्य और संगीत में किया जाता है।
112. कजली किस नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना है-
- A. भवाई नृत्य
- B. तेरहताली नृत्य
- C. शंकरिया नृत्य
- D. बिंदौरी नृत्य
व्याख्या: कजली, भवाई नृत्य की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं, जो इस कठिन और कलात्मक नृत्य शैली के लिए जानी जाती हैं।
113. ऐसा लोक वाद्य जिसका निर्माण आधे कटे नारियल की कटोरी से होता है-
- A. भपंग
- B. अलगोजा
- C. रावणहत्था
- D. शंख
व्याख्या: रावणहत्था का जो ध्वनि उत्पन्न करने वाला खोल होता है, वह आधे कटे नारियल से बनाया जाता है।
114. राजस्थान के उमर फारुक मेवाती का सम्बन्ध किस क्षेत्र से था
- A. चिकित्सा विज्ञान
- B. खेल
- C. संगीत
- D. पर्यावरण
व्याख्या: उमर फारुक मेवाती एक प्रसिद्ध भपंग वादक थे और उनका संबंध लोक संगीत के क्षेत्र से था।
115. रतवाई लोक गीत किस क्षेत्र में गाए जाते हैं -
- A. मेवाड़
- B. मारवाड़
- C. मेवात
- D. हाडौती
व्याख्या: रतवाई लोक गीत मेव जाति के लोगों द्वारा मेवात (अलवर) क्षेत्र में गाए जाते हैं।
116. निम्न में से किस नृत्य के साथ ‘झांझ’ नामक वाद्ययंत्र का प्रयोग किया जाता है -
- A. कच्छी घोड़ी नृत्य
- B. बम्ब नृत्य
- C. तेराताली नृत्य
- D. गवरी नृत्य
व्याख्या: शेखावाटी के कच्छी घोड़ी नृत्य में तेज गति और उत्साह बनाए रखने के लिए झांझ वाद्य का प्रमुखता से प्रयोग होता है।
117. वह नृत्य जो अंगारों के ढेर पर किया जाता है -
- A. बम नृत्य
- B. अग्नि नृत्य
- C. तरहताली नृत्य
- D. चरी नृत्य
व्याख्या: अग्नि नृत्य जसनाथी सम्प्रदाय के सिद्धों द्वारा धधकते हुए अंगारों पर किया जाने वाला एक प्रसिद्ध नृत्य है।
118. निम्नलिखित में से कौन फड़ वाचन से सम्बंधित हैं -
- A. बनजारे
- B. भोपे
- C. सरगडे
- D. कालबेलिया
व्याख्या: भोपे पारंपरिक रूप से लोक देवताओं की जीवन गाथा को चित्रित करने वाली 'फड़' का वाचन (गायन) करते हैं।
119. ‘होलार’ राजस्थानी लोक गीत है जो ............... के अवसर पर गाए जाते हैं -
- A. किसी को विवाह के लिए प्रस्ताव देने
- B. शिशु का जन्म होने
- C. गंगौर उत्सवों
- D. विवाह के समापन
व्याख्या: 'होलार' या 'जच्चा' गीत शिशु के जन्म के अवसर पर गाए जाने वाले मांगलिक गीत हैं।
120. ‘रूपायन संस्थान’ कहाँ स्थित है -
- A. बदनोर
- B. बोरुन्दा
- C. बगरू
- D. बून्दी
व्याख्या: रूपायन संस्थान, जो राजस्थानी लोक कलाओं के संरक्षण का कार्य करता है, जोधपुर जिले के बोरुन्दा गाँव में स्थित है।