41. बीकानेर की गायिका अल्लाहजिलाई बाई किस राग गाने के लिए प्रसिद्ध थी -
- A. बसंती
- B. जैजेवंती
- C. मल्हार
- D. माण्ड
व्याख्या: अल्लाहजिलाई बाई राजस्थान की मांड गायन शैली की सबसे प्रसिद्ध गायिका थीं।
42. राजपूताने का वह प्रसिद्ध लोक गीत जिसमें ऊंट के श्रृंगार का वर्णन मिलता है -
- A. पणिहारी
- B. कांगसियो
- C. गोरबन्ध
- D. काजलियो
व्याख्या: गोरबन्ध ऊंट के गले का एक आभूषण होता है, और इसी नाम का लोकगीत ऊंट के श्रृंगार का वर्णन करता है।
43. राजस्थान के मांड गायकी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा राग शामिल नहीं है -
- A. सोरठ
- B. देस
- C. मारू
- D. मांड
व्याख्या: मांड गायकी में सोरठ, देस, और मांड जैसे रागों का प्रयोग होता है, लेकिन मारू राग पारंपरिक रूप से इससे सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है।
44. नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सुमेलित कीजिये और सही उत्तर चुनिए:
- A. A - 1, B - 4, C - 2, D - 3
- B. A - 4, B - 1, C - 3, D - 2
- C. A - 3, B - 2, C - 4, D - 1
- D. A - 2, B - 3, C - 1, D - 4
व्याख्या: सही मिलान है: चाँद खान - स्वर सागर, पुंडलिक विट्ठल - रसमंजरी, देवर्षी भट्ट - संगीतसार, द्वारकानाथ - रागचंद्रिका।
45. राजस्थान के लोक गीतों को किस भारतीय ने ‘जनसमुदाय की आत्मा’ के नाम से सम्बोधित किया है...
- A. रवीन्द्र नाथ टैगोर
- B. पं. जवाहरलाल नेहरू
- C. सरदार पटेल
- D. महात्मा गांधी
व्याख्या: पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लोकगीतों को 'जनसमुदाय की आत्मा' कहा था।
46. अलवर का 'रसखान' कहा जाता है-
- A. मोहम्मद शाह रंगीले
- B. नवाब वाजिद अली शाह
- C. राव अलीबख्श
- D. सम्मोखन सिंह
व्याख्या: अलीबख्शी ख्याल के प्रवर्तक राव अलीबख्श को उनकी रचनाओं के कारण 'अलवर का रसखान' कहा जाता है।
47. ‘हेला ख्याल’ लोक संगीत राजस्थान के किस क्षेत्र से संबंधित है -
- A. दौसा – सवाई माधोपुर
- B. भीलवाड़ा – अजमेर
- C. सीकर – झुन्झुनू
- D. जोधपुर – बीकानेर
व्याख्या: हेला ख्याल एक विशिष्ट लोक नाट्य शैली है जो मुख्य रूप से दौसा, सवाई माधोपुर और करौली क्षेत्रों में लोकप्रिय है।
48. निम्नलिखित में वाद्यों में से कौन-सा वाद्य तार वाद्य है -
- A. रावणहत्था
- B. अलगोजा
- C. सतारा
- D. झांझ
व्याख्या: रावणहत्था एक तत् (तार) वाद्य है, जिसे गज से बजाया जाता है। अन्य विकल्प सुषिर या घन वाद्य हैं।
49. राजस्थान की ऐसी फड़ जिसका वाचन रात के स्थान पर दिन में होता है तथा बिना वाद्य यंत्रों के प्रस्तुत होती है -
- A. रामदला-कृष्णदला
- B. भैंसासुर की फड़
- C. तुर्रा कलंगी
- D. दंगल
व्याख्या: रामदला-कृष्णदला की फड़ का वाचन भाट जाति के भोपे दिन में करते हैं और इसमें किसी भी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं होता।
50. निम्नलिखित में से कौनसा/से राजस्थानी लोक संगीत का/के सुषिर वाद्य यंत्र है/हैं -
- A. (अ), (ब) और (स)
- B. केवल (अ)
- C. (अ) और (ब)
- D. (अ), (स) और (द)
व्याख्या: अलगोजा, सतारा और नड़ तीनों सुषिर (फूंक से बजने वाले) वाद्य हैं। भपंग एक तत् (तार वाला) वाद्य है।