61. महाराजा सवाई प्रताप सिंह के आश्रय में राधा गोविन्द संगीत सार के निर्माण का श्रेय किसे है -
- A. देवर्षि भट्ट ब्रजपाल
- B. महाकवि सोमनाथ
- C. श्रीधर व्यास
- D. कृष्णानन्द व्यास
व्याख्या: सवाई प्रताप सिंह के दरबारी संगीतज्ञ देवर्षि भट्ट ब्रजपाल ने 'राधा गोविंद संगीत सार' नामक ग्रंथ की रचना की थी।
62. राजस्थान के पंडित विश्व मोहन भट्ट का संबंध किस वाद्य यत्र से स्थापित किया जा सकता है -
- A. मोहनवीणा
- B. ड्रम सेट
- C. सितार
- D. सरोद
व्याख्या: पंडित विश्व मोहन भट्ट ने गिटार में संशोधन करके एक नया वाद्य यंत्र बनाया, जिसे 'मोहन वीणा' के नाम से जाना जाता है।
63. साकर खान को 2012 में किस लोक वाद्य में प्रवीणता के लिए पद्यश्री से सम्मानित किया गया -
- A. कामायचा
- B. सारंगी
- C. मोरचंग
- D. खड़ताल
व्याख्या: साकर खान मांगणियार को कामायचा वादन में उनकी असाधारण प्रवीणता के लिए 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
64. फड़ बांचते समय किस वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है -
- A. रावणहत्था
- B. मादल
- C. ढोल
- D. सारंगी
व्याख्या: भोपे पाबूजी जैसे लोक देवताओं की फड़ का वाचन करते समय मुख्य रूप से रावणहत्था वाद्य यंत्र का प्रयोग करते हैं।
65. मांड गायन में असाधारण योगदान के लिए निम्नलिखित में से किसे पद्मश्री से सम्मानित किया गया -
- A. अल्लाह जिलाई बाई
- B. मीरा बाई
- C. राना बाई
- D. गवरी देवी
व्याख्या: अल्लाह जिलाई बाई को मांड गायन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए 1982 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
66. आदिवासी भीलों और गरासियों का प्रमुख वाद्य यन्त्र है -
- A. चंग
- B. मान्दल
- C. ढोलक
- D. पूंगी
व्याख्या: मान्दल मिट्टी से बना एक प्राचीन वाद्य यंत्र है, जो विशेष रूप से भील और गरासिया जनजातियों द्वारा गवरी नृत्य जैसे अवसरों पर उपयोग किया जाता है।
67. निम्नलिखित में से कौन सा तंत्र वाद्य नहीं है -
- A. रवाज
- B. जंतर
- C. अलगोजा
- D. कामायचा
व्याख्या: अलगोजा एक सुषिर (फूंक से बजने वाला) वाद्य है। रवाज, जंतर और कामायचा तीनों तंत्र या तत् (तार वाले) वाद्य हैं।
68. लोक नाट्यों का मेरू नाठ्य कहा जाता है-
- A. तमाशा
- B. रम्मत
- C. गवरी
- D. नौटंकी
व्याख्या: गवरी, जो भीलों द्वारा किया जाने वाला एक धार्मिक लोकनाट्य है, को इसकी प्राचीनता और सामाजिक महत्व के कारण 'लोक नाट्यों का मेरु नाट्य' कहा जाता है।
69. राजस्थानी लोक साहित्य री दीठ सूं ‘हरजस’ कांई है -
- A. पवाड़ा
- B. लोकगीत
- C. लोकगाथा
- D. ख्याल
व्याख्या: हरजस सगुण भक्ति से परिपूर्ण लोकगीत हैं, जिनमें राम और कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया जाता है।
70. राजस्थान का एकमात्र ऐसा लोकवाद्य जिसकी डोटी में तनाव के लिये पखावज की तरह लकड़ी के गुटके डाले जाते हैं -
- A. तासा
- B. रावलों की मादल
- C. ढाका
- D. डेरू
व्याख्या: रावलों की मादल में चमड़े की डोरी में तनाव बनाए रखने के लिए पखावज की तरह लकड़ी के गुटकों का उपयोग किया जाता है।