81. लोक-कथा ‘देवनारायण जी की फड़’ के गायन में कौन-सा वाद्य यन्त्र प्रयोग में लाया जाता है -
- A. मंजीरा
- B. खड़ताल
- C. चंग
- D. जन्तर
व्याख्या: देवनारायण जी के भोपे उनकी फड़ का वाचन करते समय जन्तर नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग करते हैं।
82. निम्नलिखित में से कौन जयपुर अतरौली घराना के संस्थापक हैं -
- A. अब्दुल वाहिद खान
- B. फैयाज खान
- C. मिर्ज़ा ग़ालिब
- D. उस्ताद अल्लादिया खान
व्याख्या: उस्ताद अल्लादिया खान को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के 'जयपुर-अतरौली घराना' का संस्थापक माना जाता है।
83. मृदंग वाद्य यंत्र है -
- A. सुषिर वाद्य
- B. तत् वाद्य
- C. अवनद्ध वाद्य
- D. घन वाद्य
व्याख्या: मृदंग एक ढोलक जैसा वाद्य है जिसके दोनों तरफ चमड़ा मढ़ा होता है, इसलिए यह एक अवनद्ध वाद्य है।
84. सरगड़ों का खानदानी वाद्य है-
- A. बांकियां
- B. मशक
- C. भूँगल
- D. सतारा
व्याख्या: बांकिया, जो पीतल से बना एक सुषिर वाद्य है, सरगड़ा जाति का पारंपरिक वाद्य माना जाता है।
85. निम्नलिखित में से कौन सा लोक गीत वीर रस से परिपूर्ण है और सेनाओं के रण प्रयाण के समय गाया जाता था -
- A. मारू
- B. मूमल
- C. घूमर
- D. कालियो
व्याख्या: ढोला-मारू की कथा पर आधारित मारू राग और गीत वीर और श्रृंगार रस से परिपूर्ण हैं और युद्ध के समय उत्साहवर्धन के लिए गाए जाते थे।
86. लोक वाद्य यंत्र ‘टामक’ राजस्थान के किस सांस्कृतिक क्षेत्र से सम्बंधित है -
- A. मेवाड़
- B. वागड़
- C. मेवात
- D. मेरवाड़ा
व्याख्या: टामक (या दमामा) एक बड़ा नगाड़ा है जो मुख्य रूप से मेवात (अलवर-भरतपुर) क्षेत्र में युद्ध और उत्सवों के दौरान बजाया जाता था।
87. निम्न में से तत् वाद्य है :
- A. केवल (i)
- B. केवल (iii)
- C. केवल (i) एवं (iii)
- D. (i), (ii) एवं (iii)
व्याख्या: जन्तर, रवाज और भपंग, ये तीनों ही तार वाले वाद्य यंत्र हैं, अतः ये सभी तत् वाद्य की श्रेणी में आते हैं।
88. निम्नलिखित में से कौनसा तत् वाद्य नहीं है -
- A. रावण हत्था
- B. जन्तर
- C. अलगोजा
- D. कामायचा
व्याख्या: अलगोजा एक सुषिर वाद्य (फूंक से बजने वाला) है, जबकि अन्य सभी तत् वाद्य (तार वाले) हैं।
89. उस कवयित्री का नाम जो कृष्ण को समर्पित थी और जिसे ‘वागड़ की मीरा’ के नाम से भी जाना जाता था -
- A. गौरा धाय
- B. पन्ना धाय
- C. मीरा बाई
- D. गवरी बाई
व्याख्या: डूंगरपुर की गवरी बाई अपनी कृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध थीं, जिसके कारण उन्हें 'वागड़ की मीरा' की उपाधि दी गई।
90. ऐसा लोकवाद्य जिसका निर्माण आधे कटे नारियल की कटोरी से होता है-
- A. सिंगी
- B. भपंग
- C. रावण हत्था
- D. अलगोजा
व्याख्या: रावणहत्था का मुख्य भाग (खोल) आधे कटे हुए नारियल से बनाया जाता है।