1. निम्न में से किस हिन्दू सम्राट की मृत्यु के पश्चात् भारत में अनेक क्षेत्रीय राजवंशों का उदय हुआ -
- A. चन्द्रगुप्त
- B. हर्षवर्धन
- C. कनिष्क
- D. समुद्रगुप्त
व्याख्या: हर्षवर्धन उत्तरी भारत के अंतिम महान सम्राट थे जिन्होंने एक विशाल साम्राज्य पर शासन किया। 647 ईस्वी में उनकी मृत्यु के बाद, कोई मजबूत केंद्रीय शक्ति नहीं बची, जिससे स्थानीय शासकों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया और कई छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ।
2. प्रतिहारों को वैदिक क्षत्रियों का वंशज किसने बताया-
- A. डा. ओझा
- B. कर्नल टाॅड
- C. डा. भण्डारकर
- D. डा. विलिय फ्रेंक्लिन
व्याख्या: इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा का मानना था कि राजपूत विदेशी मूल के नहीं हैं, बल्कि वे भारत के प्राचीन वैदिक आर्य क्षत्रियों की संतान हैं। इसी आधार पर उन्होंने प्रतिहारों को वैदिक क्षत्रियों का वंशज बताया।
3. नयनचन्द सूरी द्वारा रचित ग्रन्थ हम्मीर महाकाव्य में राजपूतों की उत्पत्ति बताई गई है -
- A. चन्द्र से
- B. सूर्य से
- C. अग्नि से
- D. ब्राह्मणों से
व्याख्या: नयनचंद सूरी द्वारा लिखे गए 'हम्मीर महाकाव्य' में चौहान वंश के शासकों की वंशावली सूर्य से बताई गई है, अर्थात् उन्हें सूर्यवंशी माना गया है।
4. ‘राजपूत वैदिक आर्यो की संतान है’ - इस मत के प्रतिपादक है -
- A. सूर्यमल्ल मिश्रण
- B. डा. गौरीशंकर ओझा
- C. डी. आर. भण्डारकर
- D. विलियम क्रुक
व्याख्या: डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा इस मत के प्रमुख समर्थक थे कि राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी जातियों से नहीं, बल्कि प्राचीन वैदिक आर्यों के क्षत्रिय वर्ण से हुई है।
5. किस इतिहासकार ने 7वीं सदी से 12वीं सदी तक के युग को राजपूत काल कहा था -
- A. के.सी. श्रीन्यास
- B. बी.एल थापर
- C. विंसेट स्मिथ
- D. डा. हरिचंद ओझा
व्याख्या: प्रसिद्ध इतिहासकार विंसेट स्मिथ ने उत्तर भारत में राजपूत वंशों के राजनीतिक प्रभुत्व के कारण 7वीं से 12वीं शताब्दी तक के समय को 'राजपूत काल' की संज्ञा दी थी।
6. पृथ्वीराज विजय के लेखक जयानक ने चौहानों को निम्न में से किसका वंशज बताया -
- A. ब्राहम््णवंशीय
- B. सूर्यवंशीय
- C. चन्द्रवंशीय
- D. रामवंशीय
व्याख्या: जयानक ने अपने ग्रंथ 'पृथ्वीराज विजय' में चौहानों की उत्पत्ति सूर्य से बताई है, इसलिए उन्हें सूर्यवंशी कहा गया है। यह राजघरानों द्वारा अपनी वैधता स्थापित करने का एक सामान्य तरीका था।
7. किन विद्वानों ने राजपूतों को सीथियन मानकर उन्हें मध्य एशिया से आया बताया -
- A. टाॅड व ब्रुक
- B. डाॅ. दशरथ शर्मा
- C. गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा
- D. बी. बी. लाल
व्याख्या: कर्नल जेम्स टॉड और विलियम क्रुक जैसे यूरोपीय विद्वानों ने यह सिद्धांत दिया कि राजपूतों की उत्पत्ति मध्य एशिया से आई विदेशी जातियों, जैसे शक और सीथियन से हुई थी, जो बाद में भारतीय समाज में शामिल हो गए।
8. निम्न में से कौन से वंश की उत्पत्ति अग्निकुंड से नहीं हुई -
- A. परमार
- B. सिसोदिया
- C. चौहान
- D. चालुक्य
व्याख्या: अग्निकुंड की अवधारणा के अनुसार, चार राजपूत वंशों - परमार, प्रतिहार, चौहान और चालुक्य (सोलंकी) की उत्पत्ति यज्ञ की अग्नि से हुई थी। सिसोदिया वंश स्वयं को सूर्यवंशी मानता है, न कि अग्निवंशी।
9. ‘पृथ्वीराज रासो’ ग्रंथ में राजपूतों की उत्पत्ति बताई गई है -
- A. ब्राह्मणों से
- B. वैदिक आर्यों से
- C. अग्निकुण्ड से
- D. शक व सीथियन से
व्याख्या: चंदबरदाई द्वारा रचित 'पृथ्वीराज रासो' में यह वर्णन है कि गुरु वशिष्ठ ने आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया था, जिसकी अग्नि से चार राजपूत वंशों (प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान) का उदय हुआ।
10. निम्नलिखित में किसने राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी जातियों से बताई -
- A. क्रुक महोदय
- B. कर्नल टाॅड
- C. डा. भण्डारकर
- D. उपर्युक्त सभी
व्याख्या: कर्नल टॉड, विलियम क्रुक और डॉ. डी. आर. भंडारकर, इन सभी इतिहासकारों ने यह मत दिया कि राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी जातियों (जैसे शक, हूण, कुषाण) से हुई थी जो भारत आकर बस गए थे।