11. निम्न में से किस इतिहासकार ने राजपूतों को शक अथवा सिथियन जाति के वंशज माना है -
- A. चन्दबरदाई
- B. सी. एम. वैद्य
- C. जैम्स टाॅड
- D. गोपीनाथ शर्मा
व्याख्या: कर्नल जेम्स टॉड इस सिद्धांत के मुख्य प्रतिपादक थे। उनका मानना था कि राजपूत प्राचीन काल में भारत पर आक्रमण करने वाली सिथियन (शक) जनजातियों के वंशज हैं।
12. इतिहासकार आर. सी मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया-
- A. दूसरी शताब्दी से चौथी शताब्दी तक
- B. तीसरी शताब्दी से पांचवी शताब्दी तक
- C. छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
- D. बारहवीं शताब्दी से पन्द्रहवीं शताब्दी तक
व्याख्या: इतिहासकार आर. सी. मजूमदार का मानना है कि गुर्जर-प्रतिहार शासकों ने अपनी शक्ति से लगभग छठी से बारहवीं शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों को भारत में आगे बढ़ने से रोके रखा और एक मजबूत बाधा के रूप में काम किया।
13. गुर्जर-प्रतिहार शासक इस नाम से भी जाने जाते हैं -
- A. आर्य
- B. ब्राह्मण्
- C. वैश्य
- D. अग्निकुण्ड राजपूत
व्याख्या: पृथ्वीराज रासो में वर्णित अग्निकुंड की कथा के अनुसार, गुर्जर-प्रतिहार उन चार राजपूत वंशों में से एक थे जिनकी उत्पत्ति गुरु वशिष्ठ के यज्ञ-कुंड से हुई थी। इसलिए उन्हें अग्निकुंड राजपूत भी कहा जाता है।
14. किस इतिहासकार ने चौहानों को ब्राह्मण वंश से उत्पन्न होना माना है -
- A. गौरीशंकर हीराचंद ओझा
- B. विलियम क्रुक
- C. डा. भंण्डारकर
- D. नैणसी
व्याख्या: डॉ. डी. आर. भंडारकर ने बिजौलिया शिलालेख जैसे अभिलेखों के आधार पर यह मत दिया कि चौहानों की उत्पत्ति ब्राह्मण वंश से हुई थी, क्योंकि शिलालेख में उन्हें 'वत्स गोत्र' का 'विप्र' (ब्राह्मण) बताया गया है।
15. भारतीय इतिहास में राजपूत वंशों का प्रभुत्व _____ तक की अवधि के दौरान था।
- A. आठवीं से बारहवीं शताब्दी ई.
- B. छठी से सातवीं शताब्दी ई.
- C. पाँचवीं से नौवीं शताब्दी ई.
- D. तीसरी से पाँचवीं शताब्दी ई.
व्याख्या: सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद और दिल्ली सल्तनत की स्थापना से पहले, यानी लगभग 8वीं से 12वीं शताब्दी तक, उत्तर भारत की राजनीति में राजपूत वंशों का वर्चस्व था।
16. नैणसी री ख्यात में गुहिलों की कितनी शाखाओं का उल्लेख मिलता है -
- A. बीस
- B. चौबीस
- C. छत्तीस
- D. चौरासी
व्याख्या: 17वीं शताब्दी के इतिहासकार मुहणोत नैणसी ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'नैणसी री ख्यात' में मेवाड़ के गुहिल राजवंश की कुल 24 शाखाओं का वर्णन किया है।
17. इतिहासकार आर. सी. मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया -
- A. दूसरी शताब्दी से चौथी शताब्दी तक
- B. तीसरी शताब्दी से पांचवीं शताब्दी तक
- C. छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
- D. बारहवीं शताब्दी से पन्द्रहवीं शताब्दी तक
व्याख्या: इतिहासकार आर. सी. मजूमदार ने इस बात पर जोर दिया है कि गुर्जर-प्रतिहारों ने छठी से बारहवीं शताब्दी तक सिंध से आगे अरबों के विस्तार को सफलतापूर्वक रोका, जिससे वे भारतीय सीमा के रक्षक बने।
18. चीनी यात्री फा फाह्यायन ने राज्य के किस नगर की यात्रा की थी -
- A. भीनमाल
- B. बैराठ
- C. माध्यमिका
- D. शाकाम्भरी
व्याख्या: हालांकि भीनमाल की यात्रा का स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) के विवरण में मिलता है, जिसने इसे गुर्जर साम्राज्य की राजधानी बताया। कुछ संदर्भों में फाह्यान का भी इस क्षेत्र से गुजरना माना जाता है।
19. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गुर्जरों की राजधानी का नाम बताया था -
- A. कू-चे-चो
- B. पीलोमोलो
- C. सी-सो-यू
- D. गीपोमोनो
व्याख्या: चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) ने लगभग 641 ईस्वी में गुर्जर राज्य की यात्रा की और अपनी यात्रा के रिकॉर्ड में राजधानी भीनमाल का उल्लेख 'पी-लो-मो-लो' के रूप में किया।
20. चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबारी कवि कौटिल्य ने अपने ग्रन्थ अर्थशास्त्र में राजपूतों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है -
- A. रजतपुत्र
- B. राजपुत
- C. राजपुत्र
- D. राजनायक
व्याख्या: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में 'राजपूत' शब्द का आधुनिक रूप में प्रयोग नहीं हुआ है। उस समय शासक या योद्धा वर्ग के लिए 'राजपुत्र' शब्द का प्रयोग होता था, जिसका अर्थ 'राजा का पुत्र' या शाही वंश का व्यक्ति होता है। 'राजपूत' शब्द इसी का अपभ्रंश माना जाता है।