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राठौड़ वंश

राजस्थान इतिहास - राठौड़ वंश
141. ‘सुमेल गिरी का युद्ध’ (1544) किस-किस के मध्य लड़ा गया -
  • A. मालदेव व हुमायूं के मध्य
  • B. इब्राहीम लोदी व बाबर के मध्य
  • C. राव कल्याणमल व शेरशाह के मध्य
  • D. राव मालदेव व शेरशाह सूरी के मध्य
142. शेरशाह सूरी के आक्रमण के समय मारवाड़ का शासक कौन था -
  • A. राव जोधा
  • B. राव चन्द्रसेन
  • C. राव मालदेव
  • D. मोटा राजा उदयसिंह
143. 1921 में, ब्रिटिश सरकार और भारतीय राज्यों से संबंधित मामलों से निपटने के लिए ‘रॉयल एसेंट’ द्वारा ‘चैंबर ऑफ प्रिसेंस’ (जिसे नरेंद्र मंडल भी कहा जाता है) की स्थापना की गई थी। इस ‘चैंबर ऑफ प्रिंसेस’ (1921-26) का प्रथम चांसलर कौन बना था -
  • A. अलवर का शासक
  • B. बीकानेर का शासक
  • C. झालावाड़ का शासक
  • D. धौलपुर का शासक
144. मारवाड़ के अजीतसिंह ------- के पुत्र थे -
  • A. महाराजा जसवंतसिंह
  • B. अभय सिंह
  • C. दुर्गादास
  • D. इनमे से कोई नहीं।।
145. मतीरे री राड किस वर्ष की घटना है -
  • A. 1644 ई.
  • B. 1656 ई.
  • C. 1544 ई.
  • D. 1654 ई.
146. किस इतिहासकार ने वीर दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ का अणविन्दिया मोती कहा -
  • A. डा. ओझा
  • B. कर्नल टाॅड
  • C. विलियम फ्रेंकलिन
  • D. गोपीनाथ शर्मा
147. बीकानेर के शासक गंगासिंह ने अपनी सैनिक टुकड़ी ‘गंगा रिसाल’ को किस विद्रोह में भेजा -
  • A. अमेरीका
  • B. चीन
  • C. अफगान
  • D. बांग्लादेश
148. कतिपय राजपूत शासकों की सूची दी जा रही है -अ. राणा सांगा ब. चन्द्रसेन स. मानसिंह द. रायसिंहइनमें से किन्हीं दो का चयन करें जिन्होंने मुगलों को सहयोग किया -
  • A. स और द
  • B. अ और ब
  • C. ब और स
  • D. अ और द
149. सुमेल का युद्ध किनके बीच लड़ा गया -
  • A. राव मालदेव व शेरशाह
  • B. राव गांगा व बाबर
  • C. राव जोधा व शेरशाह
  • D. रायसिंह व जहांगीर
150. मारवाड़ के शासक चंद्रसेन के संबंध में निम्न में से कौनसा कथन सही नहीं है -
  • A. मालदेव ने अपने तीसरे पुत्र चंद्रसेन को अपने दो ज्येष्ठ पुत्रों राम व उदय सिंह के दावों के विपरीत अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
  • B. राव चंद्रसेन की मृत्यु शिवपुरी (सिरोही) में हुई थी।
  • C. उत्तराधिकार के युद्ध में चंद्रसेन ने अपने ज्येष्ठ भाइयों को लोहावट एवं नाडोल में पराजित किया।
  • D. चंद्रसेन ने भाद्राजून को अपना केंद्र बनाया, जहां से उसने साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा।