1. संसद की कितने प्रकार की समितियां होती हैं ?
- A.स्थायी समिति
- B.तदर्थ समिति
- C.उपर्युक्त दोनों
- D.उपर्युक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: संसदीय समितियां मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं: **स्थायी समितियां (Standing Committees)** जो स्थायी और निरंतर प्रकृति की होती हैं, और **तदर्थ समितियां (Ad hoc Committees)** जिनका गठन किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है और उद्देश्य पूरा होने पर वे समाप्त हो जाती हैं।
2. लोक लेखा समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है -
- A.नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को
- B.लोक सभा के अध्यक्ष को
- C.संसदीय मामलों के मंत्री को
- D.भारत के राष्ट्रपति को
व्याख्या: लोक लेखा समिति अपनी जांच और निष्कर्षों पर आधारित रिपोर्ट तैयार करके **लोकसभा अध्यक्ष (Speaker)** को सौंपती है। अध्यक्ष फिर उस रिपोर्ट को संसद के पटल पर रखवाते हैं।
3. निम्नलिखित में से कौन तदर्थ समिति है ?
- A.याचिका समिति
- B.विशेषाधिकार समिति
- C.आवास समिति
- D.प्रवर समिति
व्याख्या: **प्रवर समिति (Select Committee)** एक तदर्थ समिति है। इसका गठन किसी विशेष विधेयक (Bill) पर विचार-विमर्श करने के लिए किया जाता है और जैसे ही वह विधेयक पर अपनी रिपोर्ट दे देती है, इसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। अन्य सभी स्थायी समितियां हैं।
4. कुल 17 संसदीय समितियों में से कितने समितियों के अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य होते हैं ?
व्याख्या: 1993 में जब 17 विभागीय स्थायी समितियों की प्रणाली शुरू हुई थी, तो यह व्यवस्था की गई थी कि **11 समितियों के अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य होंगे** और शेष 6 समितियों के अध्यक्ष राज्यसभा के सदस्य होंगे। (वर्तमान में इन समितियों की संख्या 24 है)।
5. भारत में संसदीय समितियों में से निम्न में से कौन - सी एक विभागीय व्यय और अनियमितताओं पर निगरानी रखने के लिए 'रखवाले कुत्ते का कार्य' करती है ?
- A.प्राक्कलन समिति
- B.लोक उपक्रम समिति
- C.लोक लेखा समिति
- D.लोक आश्वासन समिति
व्याख्या: **लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)** CAG की रिपोर्टों की जांच करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी धन सही तरीके से खर्च किया गया है या नहीं। यह सरकारी खर्चों में किसी भी अनियमितता का पता लगाती है, इसीलिए इसे संसदीय वित्त पर **'निगरानी रखने वाले कुत्ते' (Watchdog)** की भूमिका में देखा जाता है।
6. निम्नलिखित में से किस समिति का सदस्य कोई मंत्री नहीं हो सकता है ?
- A.प्राक्कलन समिति
- B.लोक लेखा समिति
- C.सरकारी उपक्रम समिति
- D.उपर्युक्त सभी
व्याख्या: इन सभी (प्राक्कलन, लोक लेखा और सरकारी उपक्रम) समितियों का कार्य सरकार के कामकाज और खर्चों की जांच करना है। यदि कोई मंत्री सदस्य होगा, तो यह **हितों के टकराव (Conflict of Interest)** का मामला होगा। इसलिए, किसी भी मंत्री को इन समितियों का सदस्य बनने की अनुमति नहीं है।
7. प्राक्कलन समिति के सदस्य -
- A.संसद के दोनों सदनों से चुने जाते हैं
- B.लोकसभा के सदस्यों में से ही चुने जाते हैं
- C.राज्यसभा के सदस्यों में से ही चुने जाते हैं
- D.राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं
व्याख्या: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) में **30 सदस्य होते हैं और सभी सदस्य केवल लोकसभा से** आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से चुने जाते हैं। इसमें राज्यसभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता है।
8. प्राक्कलन समिति का क्या अर्थ है ?
- A.अर्थव्यवस्था में संगठनात्मक एवं प्रशासनिक सुधारों के तरीकों पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
- B.देश की आर्थिक स्थिति पर संसद में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करना
- C.संसद में प्राक्कलनों के प्रस्तुत करने के प्रारूप के विषय पर सिफारिश करना
- D.उपर्युक्त (b) और (c) दोनों
व्याख्या: प्राक्कलन समिति का मुख्य कार्य बजट में शामिल अनुमानों (Estimates) की जांच करना और सार्वजनिक व्यय में मितव्ययिता (economy) लाने के लिए सुझाव देना है। यह प्रशासनिक सुधार और वैकल्पिक नीतियों का भी सुझाव देती है ताकि दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित हो सके। इसका कार्य अर्थव्यवस्था में संगठनात्मक और प्रशासनिक सुधारों पर रिपोर्ट करना है।
9. भारत में संसदीय समिति प्रणाली की शुरुआत निम्नलिखित में से किसकी सिफारिश पर किया गया ?
- A.हस्कर समिति
- B.देवधर समिति
- C.संसद की नियम समिति
- D.संसद की अधीनस्थ विधान संबंधी समिति
व्याख्या: भारत में विभागीय स्थायी समितियों (Departmentally Related Standing Committees - DRSCs) की वर्तमान प्रणाली की शुरुआत **संसद की नियम समिति (Rules Committee)** की सिफारिशों के आधार पर की गई थी, जिसके बाद 1993 में इन्हें स्थापित किया गया।
10. भारत में ससंद की वितीय समितियां निम्न में से कौन सी हैं 1. लोक लेखा समिति 2. प्राक्कलन समिति 3. लोक उपक्रम समिति
व्याख्या: ये तीनों ही भारत की प्रमुख वित्तीय समितियां हैं। **लोक लेखा समिति** खर्चों की जांच करती है, **प्राक्कलन समिति** बजट अनुमानों की जांच करती है, और **लोक उपक्रम समिति** सरकारी कंपनियों के खातों की जांच करती है।