41. राष्ट्रपति कानूनी मामलों में किससे परामर्श ले सकता है ?
- A.न्याय मंत्री
- B.महान्यायवादी
- C.उच्च न्यायालय
- D.सर्वोच्च न्यायालय
व्याख्या: संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी कानूनी या तथ्यात्मक मामले पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकता है।
42. भारत में न्यायपालिका है -
- A.स्वतंत्र
- B.संसद के अधीन
- C.राष्ट्रपति के अधीन
- D.प्रधानमंत्री के अधीन
व्याख्या: भारतीय संविधान में न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र रखा गया है ताकि वह बिना किसी दबाव के निष्पक्ष रूप से न्याय कर सके। यह लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तंभ है।
43. उचतम न्यायालय की परामर्श आधिकारिता के विषय में निम्नलिखित में से कौन से कथन सही है ?1. उच्चतम न्यायालय के लिए यह वाध्यकारी है कि वह राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित किसी भी मामले में अपना मत व्यक्त करें 2. परामर्शी अधिकारिता शक्ति के अधीन प्राप्त किसी निर्देश पर उच्चतम न्यायालय की पूर्ण पीठ सुनवाई करती है 3. परामर्शी अधिकारिता के अधीन प्राप्त निर्देश पर व्यक्त किया हुआ उच्चतम न्यायालय का मत सरकार पर वाध्यकारी नहीं होता 4. उच्चतम न्यायालय को उसकी परामर्शी अधिकारिता की शक्ति के अधीन एक बार में केवल एक ही निर्देश भेजा जा सकता है नीचे दिये गये कूटों की सहायता से उत्तर का चयन कीजिये -
- A.1 और 2
- B.1 और 3
- C.2 और 3
- D.2 और 4
व्याख्या: कथन 2 सही है क्योंकि ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए कम से कम पांच न्यायाधीशों की पीठ होती है। कथन 3 भी सही है क्योंकि न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति या सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होती है। कथन 1 गलत है क्योंकि न्यायालय सलाह देने से इनकार कर सकता है।
44. उच्चतम न्यायालय को परामर्शदात्री बनाया गया है -
- A.अनुच्छेद 124 में
- B.अनुच्छेद 137 में
- C.अनुच्छेद 143 में
- D.अनुच्छेद 148 में
व्याख्या: संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है, इसलिए इसे सर्वोच्च न्यायालय का 'परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार' भी कहा जाता है।
45. न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार किसे है ?
- A.उच्च न्यायालय
- B.उच्चतम न्यायालय
- C.राष्ट्रपति
- D.लोकसभा
व्याख्या: यद्यपि उच्च न्यायालयों के पास भी न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति होती है, लेकिन अंतिम अधिकार उच्चतम न्यायालय के पास है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय सभी पर बाध्यकारी होता है।
46. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर सर्वाधिक लम्बी अवधि तक कौन पदस्थ रहा ?
- A.हीरालाल जे. कानिया
- B.के. एन. वांचू
- C.एस. एस. सिकरी
- D.व्हाई. वी. चन्द्रचूड़
व्याख्या: न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु (व्हाई. वी.) चंद्रचूड़ ने सबसे लंबे समय तक, लगभग 7 साल (1978 से 1985 तक), भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
47. सेवानिवृति के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वकालत कर सकते हैं -
- A.केवल सर्वोच्च न्यायालय में
- B.केवल उच्च न्यायालय में
- C.सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय दोनों में
- D.किसी भी न्यायालय में नहीं
व्याख्या: संविधान के अनुच्छेद 124(7) के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का कोई भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश भारत के किसी भी न्यायालय या किसी भी प्राधिकरण के समक्ष वकालत नहीं कर सकता।
48. न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है की सर्वोच्च न्यायालय -
- A.को सभी प्रकरणों पर अंतिम अधिकार प्राप्त है
- B.राष्ट्रपति के विरुद्ध दोषारोपण कर सकता है
- C.उच्च न्यायालय द्वारा निर्णित प्रकरणों का समालोचना कर सकता है
- D.किसी भी राज्य के कानून को अवैध घोषित कर सकता है
व्याख्या: न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय केंद्र और राज्य दोनों के कानूनों की संवैधानिकता की जांच कर सकता है और यदि कोई कानून संविधान का उल्लंघन करता है तो उसे अवैध घोषित कर सकता है।
49. जब भारतीय न्यायिक पद्धति में लोकहित मुकदमा (PIL) लाया गया तब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति कौन थे ?
- A.एम. हिदायतुल्ला
- B.ए. एम. अहमदी
- C.ए. एस. आनन्द
- D.पी. एन. भगवती
व्याख्या: न्यायमूर्ति पी. एन. भगवती को भारत में 'जनहित याचिका' (PIL) का जनक माना जाता है। उनके मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान पीआईएल को काफी बढ़ावा मिला।
50. भारतीय संविधान में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है -
- A.सर्वोच्च न्यायालय में
- B.उच्च न्यायालय में
- C.जनपद एवं सत्र न्यायालय में
- D.इनमें से सभी में
व्याख्या: मुख्य रूप से यह प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय (अनु. 127) और उच्च न्यायालयों (अनु. 224A) के लिए है, लेकिन जरूरत पड़ने पर अधीनस्थ न्यायालयों में भी अस्थायी नियुक्तियां की जा सकती हैं। इसलिए 'इनमें से सभी' सबसे उपयुक्त उत्तर है।