1. वैदिक समाज की आधारभूत इकाई थी
- A.कुल / कुटुम्ब
- B.ग्राम
- C.विश
- D.जन
व्याख्या: वैदिक समाज की संरचना परिवारों से मिलकर बनती थी। सबसे छोटी इकाई 'कुल' या परिवार थी, जिसका मुखिया 'कुलप' कहलाता था। कई कुल मिलकर 'ग्राम', कई ग्राम मिलकर 'विश' और कई विश मिलकर 'जन' बनते थे।
2. तीन क्रमों (पगों) में तीनों लोक को माप लेने के कारण किसे 'उपक्रम' कहा गया है ?
- A.सूर्य
- B.सवितृ
- C.मित्र
- D.विष्णु
व्याख्या: भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी और अपने तीन पगों में तीनों लोकों (पृथ्वी, आकाश और पाताल) को माप लिया था। इसी कारण उन्हें 'उपक्रम' या 'त्रिविक्रम' कहा जाता है।
3. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :सूची-I A. राजसूय यज्ञB. अश्वमेध यज्ञC. बाजपेय यज्ञD. अग्निष्टोम यज्ञसूची-II1. राजा के सिंहासनारोहण से संबंधित यज्ञ2. राजनैतिक शक्ति बढ़ाने हेतु किया जानेवाला यज्ञ3. शौर्य प्रदर्शन व प्रजा के मनोरंजनार्थ किया जानेवाला यज्ञ4. देवताओं को प्रसन्न करने हेतु अग्नि हो पशुबलि दिया जानेवाल एवं सोमरस का पान किया जानेवाला यज्ञ
- A.A → 1, B → 2, C → 3, D → 4
- B.A → 2, B → 1, C → 3, D → 4
- C.A → 1, B → 2, C → 4, D → 3
- D.A → 4, B → 3, C → 2, D → 1
व्याख्या: यह मिलान सही है क्योंकि प्रत्येक यज्ञ का एक विशिष्ट उद्देश्य था: राजसूय (राज्याभिषेक), अश्वमेध (साम्राज्य विस्तार), बाजपेय (शौर्य प्रदर्शन), और अग्निष्टोम (देवताओं को प्रसन्न करना)।
4. 'चरक संहिता' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?
- A.अर्थशास्त्र
- B.राजनीति
- C.चिकित्सा
- D.धर्म
व्याख्या: 'चरक संहिता' आयुर्वेद का एक मौलिक और प्रसिद्ध ग्रंथ है, जिसकी रचना आचार्य चरक ने की थी। यह ग्रंथ चिकित्सा विज्ञान और औषधियों पर आधारित है।
5. तीन ऋण में शामिल नहीं है
- A.देव ऋण
- B.पितृ ऋण
- C.ऋषि ऋण
- D.मातृ ऋण
व्याख्या: वैदिक परंपरा के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति पर तीन ऋण होते हैं: देव ऋण (देवताओं के प्रति), पितृ ऋण (पूर्वजों के प्रति), और ऋषि ऋण (गुरुओं और ऋषियों के प्रति)। मातृ ऋण इन तीन प्रमुख ऋणों में शामिल नहीं है।
6. निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है जो आय द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी ?
- A.मृदभांड (पॉटरी)
- B.आभूषण
- C.बढ़ईगीरी (काष्ठकारिता)
- D.लुहार (लुहारगीरी)
व्याख्या: ऋग्वैदिक आर्य लोहे से परिचित नहीं थे, वे कांस्य का उपयोग करते थे। लोहे का ज्ञान और लुहारगीरी का विकास उत्तर-वैदिक काल में हुआ। इसलिए, लुहारगीरी ऋग्वैदिक आर्यों के व्यवहार में नहीं थी।
7. निम्नलिखित में से उत्तर वैदिक काल में लिखे गये ग्रंथों का सही क्रम कौन-सा है ?
- A.वेद, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद्
- B.वेद, उपनिषद्, ब्राह्मण और आरण्यक
- C.उपनिषद्, वेद, ब्राह्मण और आरण्यक
- D.वेद, आरण्यक, ब्राह्मण और उपनिषद्
व्याख्या: वैदिक साहित्य का सही विकास क्रम यही है: सबसे पहले वेदों (संहिताओं) की रचना हुई, फिर उन पर आधारित कर्मकांडीय ग्रंथ 'ब्राह्मण' लिखे गए, उसके बाद वानप्रस्थियों के लिए दार्शनिक ग्रंथ 'आरण्यक' और अंत में परम ज्ञान पर आधारित 'उपनिषद्' लिखे गए।
8. ऋग्वेद में संपत्ति का प्रमुख रूप क्या है?
- A.गोधन
- B.भूमि
- C.a एवं b दोनों
- D.इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: ऋग्वैदिक समाज मुख्यतः पशुचारी था, इसलिए गायों (गोधन) को ही संपत्ति का सबसे प्रमुख रूप और विनिमय का माध्यम माना जाता था। भूमि पर निजी स्वामित्व की अवधारणा तब विकसित नहीं हुई थी।
9. आरंभिक वैदिक साहित्य में सर्वाधिक वर्णित नदी है
- A.सिन्धु
- B.शतुद्रि
- C.सरस्वती
- D.गंगा
व्याख्या: ऋग्वेद में सिंधु नदी का उल्लेख सबसे अधिक बार हुआ है क्योंकि यह प्रारंभिक आर्यों के निवास क्षेत्र 'सप्तसैंधव' की सबसे महत्वपूर्ण नदी थी। सरस्वती को सबसे पवित्र नदी माना गया है, लेकिन वर्णन सिंधु का अधिक है।
10. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :सूची-I ऋग्वेद में उल्लिखित नाम) A. पुरुष्नीB. शतुद्रीC. अस्किनीD. विपाशासूची-II (आधुनिक नाम)1. रावी2. सतलज 3. चिनाव 4. व्यास
- A.A → 1, B → 2, C → 3, D → 4
- B.A → 1, B → 2, C → 4, D → 3
- C.A → 2, B → 1, C → 3, D → 4
- D.A → 4, B → 3, C → 2, D → 1
व्याख्या: यह वैदिक नदियों और उनके आधुनिक नामों का सही मिलान है: परुष्णी (रावी), शतुद्री (सतलज), अस्किनी (चिनाब), और विपाशा (व्यास)।