111. कल्हण की 'राजतरंगिणी', जिसे 'सही अर्थों में पहला ऐतिहासिक ग्रंथ' होने का गौरव प्राप्त है, को किसने आगे बढ़ाया ?
- A.बिल्हण एवं मेरुतुंग
- B.बिल्हण एवं मम्मट
- C.जोनराज एवं मेरुतुंग
- D.जोनराज एवं श्रीवर
व्याख्या: कल्हण द्वारा शुरू की गई कश्मीर के इतिहास-लेखन की परंपरा को बाद के इतिहासकारों जोनराज और फिर उनके शिष्य श्रीवर ने आगे बढ़ाया, जिन्होंने अपने समय तक के इतिहास को दर्ज किया।
112. कल्हण की 'राजतरंगिणी', जिसे 'सही अर्थों में पहला ऐतिहासिक ग्रंथ' होने का गौरव प्राप्त है, को किसने आगे बढ़ाया ?
- A.बिल्हण एवं मेरुतुंग
- B.बिल्हण एवं मम्मट
- C.जोनराज एवं मेरुतुंग
- D.जोनराज एवं श्रीवर
व्याख्या: कल्हण द्वारा शुरू की गई कश्मीर के इतिहास-लेखन की परंपरा को बाद के इतिहासकारों जोनराज और फिर उनके शिष्य श्रीवर ने आगे बढ़ाया, जिन्होंने अपने समय तक के इतिहास को दर्ज किया।