326. धन्ना किसका शिष्य था -
- A. कबीर
- B. पीपा
- C. रामानन्द
- D. दादू दयाल
Answer: संत धन्ना, संत कबीर और पीपा की तरह, स्वामी रामानंद के प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
327. आचार्य तुलसी दास ने अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात कब किया -
- A. 1945 ई.
- B. 1949 ई.
- C. 1942 ई.
- D. 1952 ई.
Answer: नैतिकता और सद्भावना के प्रचार के लिए आचार्य तुलसीदास ने 1 मार्च 1949 को सरदारशहर (चूरू) में अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत की।
328. राजस्थान की दूसरी मीरा संत रानाबाई का जन्म कहाँ हुआ था -
- A. कापडोद
- B. साबला
- C. हरनावा
- D. कुडकी
Answer: संत रानाबाई, जिन्हें 'राजस्थान की दूसरी मीरा' कहा जाता है, का जन्म नागौर जिले के हरनावा गाँव में हुआ था।
329. रामस्नेही संप्रदाय की शाहपुरा शाखा के संस्थापक कौन थे -
- A. जैमलदास जी
- B. रामचरण जी
- C. रामदास जी
- D. दरियाव जी
Answer: संत रामचरण जी ने रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की और शाहपुरा (भीलवाड़ा) को इसकी मुख्य पीठ बनाया।
330. संत पीपा की गुफा कहाँ है -
- A. गागरोन
- B. पीपाड़
- C. टोडा
- D. धनेरा
Answer: संत पीपा का जन्म गागरोन में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में टोडा (टोंक) की एक गुफा में तपस्या की थी।
331. दादू दयाल का जन्म हुआ था:
- A. कोटा में
- B. अहमदाबाद में
- C. नागौर में
- D. बीकानेर में
Answer: संत दादू दयाल जी का जन्म 1544 ईस्वी में गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था, हालांकि उनकी कर्मभूमि राजस्थान रही।
332. निम्नलिखित में से कौन से संत राजस्थान के हैं -
- A. सुंदर दास
- B. लाल दास
- C. मावजी
- D. ऊपर के सभी
Answer: सुंदर दास (दौसा), लाल दास (अलवर), और मावजी (डूंगरपुर) - ये सभी संत राजस्थान से संबंधित हैं।
333. संत मावजी किस संप्रदाय के प्रवर्तक थे -
- A. निरंजनी संप्रदाय
- B. रामानुज संप्रदाय
- C. रामस्नेही संप्रदाय
- D. निष्कलंकी संप्रदाय
Answer: संत मावजी ने वागड़ क्षेत्र में निष्कलंकी संप्रदाय की स्थापना की, जिसका मुख्य केंद्र साबला (डूंगरपुर) है।
334. पाशुपत नामक शैव सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे -
- A. शंकराचार्य
- B. माध्वाचार्य
- C. लकुलिश
- D. ईशान
Answer: पाशुपत, शैव धर्म का सबसे पुराना संप्रदाय माना जाता है, जिसके संस्थापक लकुलिश थे।
335. पाशुपत सम्प्रदाय के प्रवर्तक हैं-
- A. दण्डधारी लकुलीश
- B. गोपीचंद
- C. मत्स्येन्द्रनाथ
- D. भर्तृहरि
Answer: दण्डधारी लकुलीश को पाशुपत शैव संप्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है। उन्हें भगवान शिव का अवतार भी कहा जाता है।
336. पाशुपत सम्प्रदाय के प्रवर्तक हैं-
- A. दण्डधारी लकुलीश
- B. गोपीचंद
- C. मत्स्येन्द्रनाथ
- D. भर्तृहरि
Answer: दण्डधारी लकुलीश को पाशुपत शैव संप्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है। उन्हें भगवान शिव का अवतार भी कहा जाता है।